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November 19, 2025 3:36 pm

महानदी के तट पर गूंजा जय छत्तीसगढ़ ,बालीयात्रा कटक महोत्सव में बिलासपुर के गेड़ी नर्तकों ने बटोरी वाहवाही

कटकवासी हुए भाव-विभोर, कलेक्टर ने किया दल प्रमुख अनिल गढ़ेवाल का सम्मान

बिलासपुर, 16 नवंबर 2025।भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय एवं उड़ीसा शासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बालीयात्रा कटक महोत्सव का भव्य समापन 14 नवंबर को महानदी के तट पर हुआ। 5 नवंबर से जारी इस महोत्सव में देश के लगभग 20 राज्यों के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। गर्व की बात यह रही कि उड़ीसा शासन ने बिलासपुर की लोकप्रिय संस्था लोक श्रृंगार भारती के गेड़ी लोक नृत्य दल को लगातार तेरहवें वर्ष आमंत्रित कर सम्मानित किया।

विराट मंच पर दमदार प्रस्तुति

दल प्रमुख अनिल कुमार गढ़ेवाल के नेतृत्व में 19 सदस्यीय दल ने 10 नवंबर को बालीयात्रा के विशाल मंच पर पारंपरिक गेड़ी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति के दौरान ‘काट ले हरिहर बांसे जो भला’ गीत पर दर्शक झूम उठे और वातावरण ‘जय छत्तीसगढ़’ के नारों से गूंज उठा।

मुख्य मांदल वादक मोहन डोंगरे ने अद्भुत कौशल दिखाते हुए एक ही स्थान पर घूमते हुए ताल नहीं टूटने दी। सौखी लाल कोसले ने हारमोनियम पर सुर सजाए, वहीं महेश नवरंग की बांसुरी धुनों ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। सह मांदल वादक भरत वस्त्रकार और ढोलक वादक द्वारिका लाश्कर ने मंच पर लय-ताल की गरिमा को और ऊँचा किया।

रोमांचित कर गया साहसिक गेड़ी प्रदर्शन

पारंपरिक वेशभूषा कौड़ियों, चीनी मिट्टी की माला और पटसन वस्त्र पहने प्रमुख गेड़ी नर्तक प्रभात बंजारे और सूरज खांडे के कंधों पर खड़े होकर शुभम भार्गव ने गेड़ी को हवा में लहराया तो दर्शकों की तालियों से महानदी का तट गूंज उठा।

वहीं चेतन कुर्रे और चंद्रशेखर केवट ने एक ही गेड़ी पर संतुलन बनाकर नृत्य किया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

लक्ष्मी नारायण माण्डले, मनोज माण्डले और फूलचंद ओगरे ने सह-नर्तक के रूप में आकर्षक प्रस्तुति दी।

भाव नर्तक के रूप में शुभम भारद्वाज और उदय खांडे ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कटक कलेक्टर ने किया सम्मान

प्रस्तुति के उपरांत कटक जिला कलेक्टर दत्तात्रय भाऊसाहेब शिंदे ने मंच पर पहुंचकर दल प्रमुख अनिल गढ़ेवाल और दल के सदस्यों को शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

उड़ीसा शासन द्वारा इस दल को लगातार तेरह वर्षों से आमंत्रित कर सम्मान देना छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक कला की प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

अनेक राष्ट्रीय आयोजनों में चमका छत्तीसगढ़ का परचम

इसी दल की प्रस्तुति को राज्योत्सव के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने काफिले को रोककर देखा था।

हाल ही में हैदराबाद में आयोजित भारत सरकार के लोक महोत्सव तथा राज्योत्सव बिलासपुर में भी गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति को अपार सराहना मिली।

परंपरा की महक, बिना आधुनिकता की छलक

रामायण काल से भी प्राचीन माने जाने वाले इस नृत्य रूप में गीत, संगीत, वाद्य यंत्र और वेशभूषा सबकुछ परंपरा पर आधारित होता है। यही मौलिकता दर्शकों को सबसे अधिक आकर्षित करती है और उन्हें लोक कला की जड़ों से जोड़ती है।बालीयात्रा महोत्सव में छत्तीसगढ़ी गेड़ी नृत्य की गूंज ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि पारंपरिक कला अपनी सादगी में भी अद्भुत प्रभाव छोड़ने का सामर्थ्य रखती है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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