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September 6, 2025 6:21 pm

बिना मान्यता के संचालित सीबीएसई नर्सरी को मान्यता के सवाल पर हाई कोर्ट ने शिक्षा सचिव से शपथ पत्र में मांगा जवाब


बिलासपुर।हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से बिना मान्यता संचालित नर्सरी और प्ले स्कूलों पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने पूछा है कि 5 जनवरी 2013 को जारी सर्कुलर में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए बेंच ने 17 सितंबर की तय कर दी है।
सीवी भगवंत राव, विकास तिवारी समेत अन्य ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसके सिवाय शिक्षा से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है। याचिका के अनुसार प्रदेश में बिना मान्यता के 330 से ज्यादा स्कूल संचालित हो रहे हैं। ये स्कूल न सिर्फ बच्चों की भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि अभिभावकों को भी धोखा दे रहे हैं। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2013 के सर्कुलर के अनुसार नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य था, लेकिन अब अफसर कह रहे हैं कि इसकी जरूरत नहीं। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा 12 साल तक बिना अनुमति स्कूल कैसे चल गया। हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान शिक्षा सचिव से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा था। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि स्कूल शिक्षा सचिव छुट्टी पर हैं। उनकी जगह संयुक्त सचिव ने हलफनामा दिया है।
संयुक्त सचिव ने शपथपत्र में जानकारी देते हुए बताया कि नर्सरी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन आरटीई एक्ट 2009 के तहत अनिवार्य नहीं है, लेकिन विभाग नई शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा नीति 2013 के अनुरूप निजी प्ले स्कूलों के लिए नियामक दिशा निर्देश तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।
संयुक्त सचिव ने बताया कि राज्य में लगभग 52 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए नर्सरी शिक्षा दी जा रही है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव से शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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