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June 20, 2025 10:59 pm

R.O.NO.-13250/14

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष,योग साधक सतीश उपाध्याय जो योग से बिखरते हैं दूसरे के जीवन में खुशियां और देखना चाहते हैं चेहरे में स्वस्थ मुस्कान

मनेद्रगढ़। संवाददाता प्रशांत शर्मा ।आज के दौर में जब इंसानियत का कठिन दौर चल रहा है रिश्तों में रूखापन और दूरियां बढ़ रही है वहीं जिंदगी की ढलान में और पकी हुई उम्र में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपना जीवन खपाकर दूसरों की खुशी और चेहरे की खोई मुस्कान देखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। ऐसे ही परमार्थ में लगे हुए हैं 65 वर्षीय वरिष्ठ योग प्रशिक्षक सतीश उपाध्याय । विगत 17 वर्षों में योग से सैकड़ो व्यक्तियों को मानसिक एवं शारीरिक संबल प्रदान करने वाले सतीश उपाध्याय पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी है एवं विगत दो दशकों से योग से जुड़े हुए हैं। अपनी दैनिक दिनचर्या में योग को समाहित करने वाले एमसीबी जिले के सतीश ऐसे प्रथम योग प्रशिक्षक हैं जो विषम परिस्थितियों में भी निशक्त, वयोवृद्ध,बीमार व्यक्तियों के लिए निशुल्क के रूप से घर-घर योग और प्राणायाम की अलख जगा रहे हैं।
योग की वैश्विक मान्यताओं पर चर्चा करते हुए वे कहते हैं कि आज योग को दुनिया के 200 देशों ने स्वीकार किया है भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की जी स्फूर्ति एवं उत्साह से काम करने के पीछे योग ही है आज हजारों रिसर्च पेपर योग से होने वाले लाभ पर प्रकाशित हो चुके हैं-। एमसीबी जिला मनेंद्रगढ़ के 65 वर्षीय वरिष्ठ योग प्रशिक्षक सतीश उपाध्याय को देश के प्रतिष्ठित -” आध्यात्मिक गौरव सम्मान “से सम्मानित भी किया गया है । वरिष्ठ साहित्यकार सतीश उपाध्याय, योग को अपना धर्म एवं कर्म मानते हुए विगत दो दशकों से घर – घर पीड़ित , लाचार और बीमार व्यक्तियों को परमार्थ सेवा के तहत योग के माध्यम से निशुल्क उपचार करना उनके जीवन का उद्देश्य हैं। सरस्वती शिशु मंदिर के खेल प्रांगण में उनके निर्देशन पर प्रतिदिन प्रात 6:00 बजे योग की कक्षा लगाई जाती है , जिसमें वे सूर्य नमस्कार, योगिंग जॉगिंग, वृक्षासन ,पाद हस्तासन , उष्ट्रासन शशांक आसन मकरासन ,भुजंगासन सेतुबंधासन आदि योग की क्रियाओं के साथ प्राणायाम में कपालभाति, अनुलोम विलोम भ्रामरी उदगीद जैसे प्रमुख प्राणायाम का नियमित अभ्यास कराते हैं। योग को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आत्मिक शक्तियों का मूल स्रोत बताते हुए वे कहते हैं कि आज 45 से 50 वर्ष आयु वर्ग के 95% महिलाओं में भी नींद न आना ,तनाव चिड़चिड़ापन ,भूख कम लगना , थकान यूट्रस में सिस्ट, किडनी या गाल ब्लैडर में स्टोन जैसी समस्याएं आम हो गई है, जिसका योग में सहज एवं सरल उपचार है। शरीर की बीमारी के निदान के संबंध में योग के संदर्भ में वरिष्ठ योग प्रशिक्षक का कहना है कि योग की लंबी साधना एवं धैर्य एवं नियमित अभ्यास से कठिन से कठिन बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। प्राणायाम के सभी प्रक्रियाओं द्वारा रक्त को शुद्ध करने वाली प्राण वायु की मात्रा और प्रतिशत में वृद्धि होती है जो प्राण वायु हम श्वसन की क्रिया से अंदर लेते हैं उसमें लगभग 79% नाइट्रोजन और 20 – 21% ऑक्सीजन की मात्रा रहती है। प्राणायाम के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में ऑक्सीजन का अनुपात बढ़ाया जाता है जिससे रक्त शोधन प्रक्रिया में वृद्धि होती है और शरीर के प्रत्येक कोशिका को आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा मिलती है। हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है हृदय के प्रत्येक स्पंदन में 70 मिलीलीटर के लगभग रक्त आगे फेंका जाता है दिन भर में 1 लाख से अधिक स्पंदनों में इसे 5 लाख घन इंच के लगभग रक्त शरीर के प्रत्येक अंगों में पहुंचता है ,यही ऑक्सिजनेटेड रक्त शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। वे आम जनों से योग को जीवन में आत्मसात करने एवं अपने दिनचर्या में योग एवं प्राणायाम को अनिवार्य अंग बनाने की पुरजोर अपील करते हुए कहते हैं विधाता ने सब की आयु सुनिश्चित की है परंतु अपने आहार विचार एवं व्यवहार से दीर्घ जीवन जीने के लिए योग एवं प्राणायाम का सहारा तो लेना ही चाहिए। उनका कहना है कि योग के प्रति जन जागृति अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर केवल एक दिन योग करने से नहीं आ सकती योग योग जीवन में सतत चलने वाली प्रक्रिया है इसका लाभ तभी मिल सकता है जब इसे दैनिक दिनचर्या में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।शारीरिक लाभ के लिए व्यक्ति को अनुभवी योग प्रशिक्षकों के निर्देशानुसार ही योग करना चाहिए।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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