Explore

Search

April 12, 2025 2:55 pm

IAS Coaching

महामाया मंदिर ट्रस्ट को किया जा रहा बदनाम, निष्पक्ष जांच की ट्रस्टियों ने की मांग….

कछुओं की मौत के बाद चल रही है जांच,मंदिर प्रबंधन दे रहा पूरा सहयोग…. मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट

छत्तीगढ़ बिलासपुर। 25 मार्च को रतनपुर स्थित महामाया मंदिर परिसर में कुंड के बाहर लगभग दो दर्जन कछुओं के मौत की खबर तेजी से प्रसारित हुई। इस खबर के बाद हर तरफ चर्चा का बाजार गर्म हो गया। चूंकि कछुआ संरक्षित प्रजाति में आता है इसलिए इस मामले में जांच की मांग उठ गई।

हाई कोर्ट ने भी खबर छपने के बाद इस मामले को संज्ञान मे ले लिया और जांच शुरू हो गई। वर्तमान में कछुओं की मौत को लेकर जांच चल रही है,लेकिन इसी बीच महामाया मंदिर प्रबंधन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया गया। इसी बात से आहत होकर शुक्रवार को महामाया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष सतीश शर्मा,मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा, कोषाध्यक्ष रितेश जुनेजा, ट्रस्टी विनोद गोरख,शैलेंद्र जायसवाल और मंदिर के सक्रिय सहयोगी ए पी त्रिपाठी ने बिलासपुर प्रेस क्लब में पहुंचकर पत्रकारों से चर्चा की।

सभी ने मांग की कि जांच पूरे निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए। मंदिर प्रबंधन हर तरह से जांच में सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस जांच और कछुए की मौत के बाद कुछ लोग मंदिर प्रबंधन को बदनाम करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। ट्रस्टियों ने स्पष्ट किया कि इसमें किसी भी तरह का हाथ ट्रस्टियों का नहीं है। निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए और जो भी इस मामले में दोषी पाए जाते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

अध्यक्ष आशीष सिंह ने सवाल उठाया कि महामाया मंदिर ट्रस्ट इस घटना में कैसे शामिल हो सकता है और षड्यंत्र कैसे कर सकता है? उन्होंने कहा कि सीसीटीवी में मछली मारते दिख रहे व्यक्ति को वह नहीं पहचानते हैं और इसमें किसी षड्यंत्र की बू आ रही है,जो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। श्री ठाकुर ने कहा कि कुंड में कछुआ कहां से आते हैं उन्हें नहीं पता मगर यह सुनने में आया है कि दर्शनार्थ वहां जाकर कुंड में कछुओं को ढील देते हैं। मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा ने बताया कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी जांच के लिए रतनपुर मंदिर पहुंचे थे जिन्हें ट्रस्ट के सभी लोग पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। कोई भी बात उनसे छुपाई नहीं जा रही है। विभाग के अधिकारी वीडियो फुटेज और सीसीटीवी का डीवीआर लेकर गए हैं और जांच चल रही है।

मगर ऐसा माहौल बना दिया गया है कि मंदिर प्रबंधन ही इस मामले में पूरी तरह दोषी है जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मंदिर के सहयोगी आनंद जायसवाल को ट्रस्टियों ने कुंड से बदबू आने के कारण साफ सफाई करने कहा था। मछली को भी हटाने कहा गया था। जिसमें 23 मार्च को आनंद जायसवाल ने मछली निकाला जिसे रतनपुर बाजार में बेचने के बाद उस पैसे को लाकर ट्रस्ट में जमा किया। 23 तारीख की रात को कछुए कुंड के बाहर नजर नहीं आए। 24 को दिन में नजर नहीं आए। 24 की रात को भी नजर नहीं आए। अचानक 25 मार्च की सुबह लगभग दो दर्जन कछुए मृत पाए गए जो किसी षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है।

ट्रस्ट के सभी लोगों ने एक सुर में कहा इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए, ताकि जो बदनामी का दंश ट्रस्ट के नाम आ रहा है वह स्पष्ट हो सके। महामाया प्रबंधन के सभी पदाधिकारी और ट्रस्टियों ने कहा कि आर्थिक,व्यवहार और अव्यवस्था जैसी चीजों के जरिए ट्रस्ट को बदनाम करने का लोगों को अवसर नहीं मिल रहा है तो लगता है कि इस तरह का हथकंडा अपना कर लोग प्रबंधन को बदनाम करना चाह रहे हैं। इसलिए सभी ने निष्पक्ष तरीके से पूरे मामले की जांच की मांग की है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

Read More