बिलासपुर। कोल लेव्ही और डीएमएफ घोटाले में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद आईएएस रानू साहू की अग्रिम जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ईओडब्ल्यू ने हाल ही में एक और मामला दर्ज किया है। संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए आईएएस रानू साहू ने याचिका दायर की थी।
आईएएस रानू साहू की अग्रिम जमानत याचिका पर जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस व्यास ने 31 जनवरी 2025 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।आईएएस रानू साहू ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) और 13(1)(बी) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 के तहत दर्ज दो अलग-अलग मामलों में संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी । मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

एसीबी व ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायत के अनुसार आईएएस रानू साहू पर आरोप है कि अपने परिवार के साथ मिलकर आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। साथ ही, उन्होंने कोल लेवी घोटाले में मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी के अवैध सिंडिकेट की सहायता की। यह सिंडिकेट कोयला डिलीवरी आर्डर और परमिट जारी करने के लिए प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली करता था। शिकायत में कहा गया है कि वर्ष 2015 से अक्टूबर 2022 के बीच रानू साहू और उनके परिवार ने कुल 24 अचल संपत्तियां खरीदीं। वर्ष 2011 से 2022 के बीच उन्हें वेतन के रूप में 92 लाख रुपये मिले, जबकि उन्होंने 3.93 करोड़ रुपये की संपत्तियां खरीदीं। इस आधार पर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन