बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दिल्ली प्रवास पर हैं। सोमवार को सीएम साय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की है। पीएम से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से सौजन्य मुलाकात करेंगे। दो दिनों के भीतर तीन शीर्ष नेताओं से मुलाकात की खबर से छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर सरगर्म होने लगी है। सीएम के दिल्ली प्रवास पर जाते ही एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव से पहले जिन तीन नामों को लेकर चर्चा की जा रही थी इस बार भी वही तीन नाम मंत्रिमंडल की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। दौड़ में शामिल दिग्गजों के नाम में कहीं से कोई फेरबदल की गुंजाइश फिलहाल नहीं बन रही है और ना ही देखी जा रही है।

सीएम विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों की कुर्सी खाली है। इसके चलते सीएम सहित अन्य मंत्रियों पर विभागों का अतिरिक्त प्रभार है और कामकाज का बोझ भी। इन सबसे अलग दो मंत्रियों को जगह देने को लेकर राजनीतिक दबाव भी महसूस किया जा रहा है। निकाय व पंचायत चुनाव के दौरान विस्तार को टालने के पीछे चुनाव को कारण बताया जा रहा था। चुनाव के ठीक बाद विधानसभा का बजट सत्र प्रारंभ हो गया। अब जबकि विधानसभा सत्र भी समाप्ति की ओर है। बजट सत्र के समापन से पहले सीएम के दिल्ली प्रवास को लेकर एक बार फिर अटकलें लगाई जा रही है।

यह भी सही है कि 30 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर आ रहे हैं। सीएम साय के दिल्ली प्रवास और पीएम से मुलाकात को इस नजरिए से भी देखा जा रहा है। राजनीतिक के जानकार और दिग्गजों को यह भी कहना है कि पीएम के प्रवास को लेकर और एक ही विषय पर उनसे चर्चा हुई होगी यह भी संभव नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सीएम साय भी सियासी दबाव महसूस कर रहे हैं। तभी तो प्रदेश की राजनीति में इस बात की अटकलें तेज हो गई है कि सीएम के दिल्ली प्रवास के पीछे का मकसद मंत्रिमंडल विस्तार ही हो सकता है।
अमर, अजय और गजेंद्र के नामों की चर्चा
सीएम के दिल्ली प्रवास पर जाते ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर प्रदेश में चर्चा छिड़ी हुई है। जिन नामों को लेकर चर्चा का बाजार सरगर्म है उनमें पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल

अजय चंद्राकर व दुर्ग से पहली बार विधायक बने गजेंद्र यादव के नाम की चर्चा हो रही है। तीनों के अपने मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि है। अजय चंद्राकर और गजेंद्र यादव ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं।

अजय चंद्राकर की गिनती तेज तर्रार के साथ ही बड़े ओबीसी नेता के रूप में होती है। गजेंद्र यादव के पिता बिसरा राम यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी रहे हैं।

संघ में उनकी अलग छवि रही है। यही कारण है कि गजेंद्र की दावेदारी के पीछे संघ की पसंद मानी जा रही है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की साफ सुथरी छवि ओर ब्यूरोक्रेटस के बीच उनकी अच्छी पकड़ और छवि के साथ ही राष्ट्रीय राजनीति के शीर्ष नेताओं से सीधी पहचान को बड़ा कारण माना जा रहा है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief