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March 12, 2025 9:31 pm

IAS Coaching

कम वोटिंग के बीच हार-जीत के फासले को लेकर चर्चा सरगर्म


बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम के मेयर से लेकर पार्षदों का सियासी भाग्य अब ईवीएम में लाक हो गया है। स्ट्रांग रूम में ईवीएम सीलबंद हाल में सुरक्षा बलों के हवाले कर दिया गया है। मतदान के बाद राज्य निर्वाचन कार्यालय द्वारा जारी वोटिंग परसेंट के साथ ही हार-जीत के अंतर को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है। चौक-चौराहों से आ रही पब्लिक ओपनियन पर भरोसा करें तो पब्लिक का पूरा रुझान सत्ताधारी दल की ओर है। बातों ही बातों में यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि ट्रिपल इंजन की सरकार बनने में अब औपचारिकता ही बच गई है। पब्लिक इस बात को लेकर जरा भी संकोच में नहीं दिख रही है।


पब्लिक ओपिनियन के बीच हार-जीत के अंतर को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। मतदान के घटते रुझान के बीच लोगों के साथ ही राजनीतिक दलों के जानकारों के बीच से यह बात उठने लगी है कि आखिर कारण क्या है कि बिलासपुर शहर में मतदान को लेकर लोग जागरुक और गंभीर क्यों नहीं हो रहे हैं। वर्ष 2019 के नगरीय निकाय से इस बार तकरीबन छह फीसदी वोट कम पड़े हैं। कम वोटिंग परसेंटेज को लेकर आगे चर्चा करेंगे। फिलहाल तो चर्चा इस बात की हो रही है कि भाजपा की मेयर केंडिडेट की जीत का अंतर कितना रहेगा। ऐसा भी सोच सकते हैं कि जीत और हार का आंकड़ा कितने का रहेगा। कम मतदान को लेकर भाजपाई रणनीतिकारों में थोड़ी निराशा तो है पर यह निराशा चुनाव परिणाम को लेकर कतई नहीं, निराशा इस बात को लेकर जीत का आंकड़ा थोड़ा घट जाएगा। निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले 70 वार्डों के के बीच से,जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों ही मतदाता हैं,एक ही चर्चा हो रही है कि भाजपा की जीत तय है, जो सोचा था उससे जीत का अंतर कुछ कम हो जाएगा।

फिर भी कितना। इस तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। चौपालों से लेकर पार्टी कार्यालय और पार्षद पद के उम्मीदवारों के अपने कार्यालयों में हो रही चर्चा पर नजर डालें तो आंकड़ा 2014 के डायरेक्ट इलेक्शन से ज्यादा रहेगा।
बगावत ने किया परेशान, संभावनाओं पर पड़ेगा असर
निकाय चुनाव में बगावत का बम दोनों ही दलों में जमकर फूटा था। एक दर्जन वार्ड ऐसे रहे जहां भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों को अपने ही दल के बागियों से पूरे समय जूझना पड़ा। बागी कितना वोट बटोरते हैं और कितना नुकसान पहुंचाते हैं, यह भी देखने वाली बात होगी। यह कहा जा रहा है कि बागियों के प्रदर्शन पर ही पार्टी उम्मीदवारों की किस्मत चमकेगी या फिर बुझ जाएगी।


बेलतरा विधानसभा के वार्डों पर खास नजर
विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा, बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 17 वार्ड के मतदाताओं ने हर मौके पर भाजपा का साथ दिया है। ये ऐसे वार्ड हैं जहां के मतदाता भाजपा की हार को जीत में तब्दील करते रहे हैं। मौजूदा चुनाव में भी बेलतरा के इन्हीं वार्डों के मतदाताओं पर भाजपाई और कांग्रेसी रणनीतिकारों की नजरें टिकी हुई है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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