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March 13, 2025 2:22 am

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हाई कोर्ट ने कहा: पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक सेक्स अपराध नहीं


बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जेल में बंद पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच अननेचरल सेक्स अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पत्नी नाबालिग है तो बात अलग। अन्यथा यह अपराध नहीं है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता पति के रिहाई का आदेश दिया है।
पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स और उसके बाद पत्नी की मौत के मामले में पुलिस ने याचिकाकर्ता पति के खिलाफ अप्राकृतिक दुष्कर्म और रेप का आरोप लगाते हुए भादवि की धारा 376 व 377 के खिलाफ जुर्म दर्ज कर जेल भेज दिया था। मामले की सुनवाई बस्तर के निचली अदालत में हो रही थी। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने अननेचरल सेक्स के कारण पत्नी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए 10 साल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माना किया था। जेल में बंद याचिकाकर्ता ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी व्यस्क है तो पति द्वारा किए गए अननेचरल सेक्स को अपराध नहीं माना जाएगा। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता के रिहाई का आदेश दिया है।


घटना 11 दिसंबर 2017 की है। ड्राइवर पति ने इसी रात पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स किया था। जिसके चलते पत्नी की तबियत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद भी उसकी तबियत पहले से ज्यादा गंभीर हो गई। मृत्यु पूर्व बयान में पीड़िता पत्नी ने कार्यपालिक दंडाधिकारी को बताया कि उनकी सहमति के बिना और बार-बार मना करने के बाद भी पति ने उसके साथ अप्राकृतिक सेक्स किया। जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई। बयान के कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रूप से महत्वहीन है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है और पति उसके साथ संबंध बना रहा है तो इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। अप्राकृतिक संबंध के लिए पत्नी की स्वीकृति जरूरी नहीं है। इसलिए आरोपी पर अपराध का मामला नहीं बनता।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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