बिलासपुर। हाई कोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी डी गुरु की खंडपीठ ने आज उस जनहित याचिका की सुनवाई की जिसमें रेलवे के द्वारा कोविड के समय डिस्टर्ब हुई रेल सेवाओं को पुनः सुचारु रूप से चलने का आग्रह किया गया था।
गौरतलब है कि वर्ष2020 और वर्ष2021 में इस याचिका में हुए कई आदेशों के बाद कई बंद पड़ी ट्रेने चलना शुरू हो गई थी परंतु उनमें अभी भी पूरी तरह कॉविड समय के पहले जैसी नॉर्मलसी नहीं आई थी।
आज इस याचिका की सुनवाई के दौरान (याचिका बिलासपुर के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के द्वारा लगाई गई है )खंडपीठ को यह बताया गया कि सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेन 2021 से ही रेगुलर ट्रेन बनकर चलने लगी है परंतु लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेन जिसमें अत्यधिक गरीब आदमी सफर करता है और छोटी दूरी के यात्री सफर करते हैं ,उन्हें अभी भी स्पेशल ट्रेन के नाम से चलाया जा रहा है । जिसके कारण उनका मनमाने तरीके से कैंसिल किया जाना, अधिक किराया होना, समय का पाबंद ना होना आदि समस्याएं लगातार यात्रियों को झेलनी पड़ रही है ।
रेलवे के तरफ से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 21 फरवरी 2024 से रेलवे बोर्ड ने सभी पैसेंजर और लोकल और मेमू ट्रेनों को भी रेगुलर ट्रेन के रूप में चलने का आदेश दे दिया है और वह इस बिलासपुर जोन पर भी लागू है। इस पर याचिका कर्ता ने कहा कि उसने आज ही एक शपथ पत्र दाखिल कर यह बताया है कि अभी भी बिलासपुर जोन में पैसेंजर लोकल और मेमू ट्रेन स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाई जा रही है और इनका नंबर जीरो से शुरू होता है । जो रेलवे में इस बात को बताता है कि उक्त ट्रेन स्पेशल ट्रेन है।याचिका कर्ता ने बताया कि स्पेशल ट्रेन होने के कारण उसका कोई भी समय और स्टॉपेज या उसका चलना पूरी तरह रेलवे अधिकारियों के हाथ में होता है और उसके कार्यक्रम में अचानक बदलाव कर दिए जाते हैं इस कारण भी यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है ।सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने निर्देश जारी किया और कहा कि बिलासपुर डीआरएम इस बारे में अपना शपथ पत्र दाखिल करें कि क्या अभी भी रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद पैसेंजर लोकल और मेमू ट्रेन स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाई जा रही है और अगर ऐसा है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है।इस शपथ पत्र को दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है अंतिम सुनवाई उसके बाद होगी।

रवि शुक्ला
अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन