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November 19, 2025 9:53 am

अष्टक वर्ग: सूक्ष्म भविष्यवाणी का वैज्ञानिक आधार-ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा

छत्तीसगढ़ बिलासपुर ।वैदिक ज्योतिष की परंपरा में अष्टक वर्ग को भविष्यवाणी की सबसे सूक्ष्म और प्रभावी पद्धति माना गया है। यह तकनीक केवल ग्रहों की उच्च-नीच स्थिति या सामान्य योगों पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि ग्रहों की वास्तविक शक्ति, शुभता और उनके गोचर के दौरान पड़ने वाले प्रभावों को गणितीय ढंग से परखती है। ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा के अनुसार अष्टक वर्ग वह औजार है जो ग्रहों के बदलते प्रभावों को सूक्ष्मता से पढ़ने की क्षमता देता है। यही कारण है कि आधुनिक ज्योतिष में इसकी उपयोगिता लगातार बढ़ी है।

क्या है अष्टक वर्ग

अष्टक वर्ग शब्द दो भागों से बना है अष्ट अर्थात् आठ और वर्ग अर्थात् समूह। इस प्रणाली में प्रत्येक ग्रह से संबंधित आठ प्रकार के शुभ-अशुभ बिंदुओं की गणना की जाती है। इन बिंदुओं के आधार पर किसी राशि या भाव की शक्ति का निर्धारण किया जाता है और यह देखा जाता है कि ग्रह उस क्षेत्र में कितना सहयोग या बाधा प्रदान करेगा।

ग्रह गोचर के आकलन में सबसे विश्वसनीय साधन

सुभाष शर्मा बताते हैं कि सामान्यत: गोचर फलादेश केवल ग्रहों की स्थिति देखकर किया जाता है, परंतु हर बार परिणाम समान नहीं होता। इसकी वजह है कि ग्रह की शुभता का वास्तविक पैमाना अष्टक वर्ग के बिंदु तय करते हैं।

• अधिक बिंदु किसी राशि या भाव को शुभ बनाते हैं।

• कम बिंदु उस क्षेत्र में कष्ट, बाधा या विलंब का संकेत देते हैं।

उदाहरणस्वरूप, यदि सूर्य को किसी राशि में चार या अधिक बिंदु मिलते हैं, तो जातक को आत्मबल, स्वास्थ्य और मान-सम्मान में वृद्धि प्राप्त होती है। इसी प्रकार गुरु के उच्च अष्टक वर्ग बिंदु धन, संतान और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति का संकेत देते हैं।

जीवन के हर क्षेत्र का सूक्ष्म विश्लेषण

अष्टक वर्ग केवल एक सामान्य पद्धति नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र का गहन विश्लेषण करने वाला गणितीय दृष्टिकोण है।

यह विशेष रूप से बताता है जैसे स्वास्थ्य आयु संतान योग वित्तीय स्थिति वैवाहिक जीवन करियर में उन्नति बाधाएं और अवसर शामिल हैं ।

ज्योतिषाचार्य सुभाष शर्मा के अनुसार कई बार देखा जाता है कि कुंडली में शुभ योग होते हुए भी परिणाम अपेक्षित नहीं मिलता। इसका उत्तर अष्टक वर्ग की गणना से मिलता है, क्योंकि वही ग्रह की वास्तविक शक्ति का सूचक है।

गोचर फल में अभूतपूर्व सटीकता

अष्टक वर्ग का सबसे बड़ा महत्व गोचर के दौरान दिखाई देता है। ग्रह अपनी राशि बदलते हैं, पर उनका शुभ-अशुभ परिणाम जातक पर किस हद तक पड़ेगा यह अष्टक वर्ग ही बताता है।

यह प्रणाली प्राचीन पाराशरी ज्योतिष में वर्णित है, लेकिन आधुनिक गणनाओं के साथ इसका उपयोग और भी परिष्कृत हो गया है।

कुंडली विश्लेषण में क्यों अनिवार्य है अष्टक वर्ग

यह पारंपरिक फलादेश की अनिश्चितता को कम करता है।ग्रहों की वास्तविक शक्ति का सटीक आकलन प्रदान करता है।घटनाओं के समय-निर्धारण में अद्भुत योगदान देता है।जातक को भविष्य की दिशा स्पष्ट रूप से दिखाता है।

सुभाष शर्मा कहते हैं यदि ग्रह चार या अधिक राशियों में शुभ बिंदु प्रदान करता है, तभी वह पूर्ण शुभ फल देता है। इसलिए अष्टक वर्ग के बिना ज्योतिषीय निर्णय अधूरा माना जाता है। अष्टक वर्ग वैदिक ज्योतिष का वह वैज्ञानिक आधार है, जो पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक गणितीय पद्धति से जोड़ता है। यह न केवल जन्मकुंडली की गहराई को उजागर करता है, बल्कि ग्रह गोचर के समय भी प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी संभव बनाता है।सही और व्यक्तिगत विश्लेषण के लिए अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श आवश्यक माना गया है क्योंकि हर कुंडली की संरचना अलग होती है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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