बिलासपुर। मेकाहारा में एक बिस्तर पर दो प्रसूताओं के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने स्थिति न सुधर पाने पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सीजीएमएससी और प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में एक ही बेड पर दो प्रसूताओं को रखने की घटना पर हाई कोर्ट ने चिंता जताई थी। 150 बिस्तर वाले गायनी वार्ड में 29 अक्टूबर को बेड फुल हो गए थे। इसके चलते वार्ड नंबर 5 और 6 में एक-एक बेड पर दो-दो प्रसूताओं को रखा गया। बच्चों को साथ लिए प्रसूताओं ने बेड के एक-एक हिस्से को सिरहाना बनाया गया था। इस आशय की खबर प्रकाशित होने के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने संज्ञान में लेकर जनहित याचिका के रूप में लिस्टिंग करने के निर्देश दिए। 30 अक्टूबर को डिवीजन बेंच में याचिका पर सुनवाई शुरू की।
कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल की लचर व्यवस्था पर गहरी चिंता जाहिर की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि, एक बेड पर दो प्रसूताओं को रखना बेहद खराब स्थिति है, प्रसूताओं की गोपनीयता,
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने रायपुर के अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में गायनेकोलॉजी वार्ड में स्थिति अब भी नहीं सुधरने पर गहरा असंतोष जताया। चीफ जस्टिस ने कहा कि, इतने महत्वपूर्ण वार्ड को इस तरह उपेक्षित छोड़ दिया गया है। नवजात शिशुओं और माताओं को इससे संक्रमन हो सकता है जिसके सभी ओर फैलने का खतरा भी है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है। चीफ जस्टिस ने छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन और प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को शपथपत्र प्रस्तुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
मेकाहारा अस्पताल के गायनेकोलॉजी वार्ड में 150 बेड है, 29 अक्टूबर को सभी बेड फुल हो गए। ऐसे में वार्ड नंबर 5 और 6 में दो गर्भवती महिलाओं को एक ही बेड पर एडमिट करना पड़ा। बताया गया कि अस्पताल में औसतन हर घंटे में एक डिलीवरी होती है, यानी हर दिन सिजेरियन और नॉर्मल मिलाकर तकरीबन 24 डिलीवरी होती हैं। स्वच्छता और गरिमा की रक्षा जरूरी है। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा था। अस्पतालों में किट और रीजेंट की कमी पर सीजीएमएससी के एमडी को शपथ पत्र के साथ जवाब देने कहा है।
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