भारत में करीब 12 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित,एक व्यक्ति का नेत्रदान दो नेत्रहीनों को रोशनी दे सकता है
हर साल मृत्यु होने वाले 1 करोड़ लोगों में से सिर्फ़ 1% भी नेत्रदान करें, तो देश की पूरी ज़रूरत पूरी हो सकती है
बिलासपुर।कभी-कभी फ़िल्में सिर्फ़ मनोरंजन नहीं करतीं बल्कि दिल को छू लेने वाला संदेश भी छोड़ जाती हैं। बिलासपुर के युवा फ़िल्मकार आर्यन तिवारी और उनकी टीम ने ऐसा ही एक प्रयास किया है। नेत्रदान पखवाड़ा 2025 के अवसर पर उन्होंने अपनी शॉर्ट फ़िल्म EYE DONATION का पोस्टर लॉन्च किया जो नेत्रदान के महत्व पर आधारित है।इस शॉर्ट मूवी की सभी तरफ़ सराहना हो रही है ।

पोस्टर लॉन्चिंग के मौके पर जब कलेक्टर आईएएस संजय अग्रवाल और एसएसपी आईपीएस रजनेश सिंह ने संयुक्त रूप से पोस्टर का अनावरण किया तो वातावरण में सिर्फ़ ताली की गड़गड़ाहट ही नहीं, बल्कि उम्मीद की एक नई किरण भी गूँज उठी।
क्या कहा एसएसपी रजनेश सिंह ने
फ़िल्म की अनोखी कहानी
फ़िल्म का कथानक बेहद सरल मगर गहरी सोच लिए हुए है। इसमें दिखाया गया है कि जैसे एक रंग-बिरंगा 200 रुपये का नोट दुनिया घूमते हुए खुश रहता है, लेकिन जैसे ही गुल्लक में बंद हो जाता है, उसकी दुनिया अंधकारमय हो जाती है। इंसान का जीवन भी कुछ ऐसा ही है जब तक आँखें हैं, दुनिया रंगीन है, लेकिन उनकी रोशनी बुझते ही जीवन में केवल अंधेरा रह जाता है।
युवा निर्देशक आर्यन का विज़न

इस संबंध में युवा निर्देशक आर्यन तिवारी कहते हैं ने cbn 36 से चर्चा में बताया कि सिनेमा हमारे समय का सबसे ताक़तवर माध्यम है। अगर हम इसके ज़रिए समाज को कुछ अच्छा सोचने और करने के लिए प्रेरित कर सकें तो यही हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी। EYE DONATION उसी दिशा में एक छोटा-सा प्रयास है।
उनके साथ असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. सुनंदा मरावी और ओशीन मरकाम ने भी फ़िल्म को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। वहीं कलाकार महेंद्र सूर्यवंशी नरेंद्र सिंह चंदेल विजया रानी राठौर और बाल कलाकार आहान आदित्य झा व अन्विता झा ने अपने अभिनय से कहानी को जीवन्त बना दिया है।
आँकड़ों की सच्चाई
आयर्न द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म सिर्फ़ एक भावनात्मक संदेश नहीं देती बल्कि भारत की एक गंभीर समस्या की ओर भी ध्यान खींचती है।जबकि एक व्यक्ति का नेत्रदान दो नेत्रहीनों को रोशनी दे सकता है।देश में हर साल ज़रूरत होती है 1 लाख से ज़्यादा कॉर्निया प्रत्यारोपण की, जबकि केवल 25,000-30,000 ही हो पाते हैं।भारत में करीब 12 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं।अगर हर साल मृत्यु होने वाले 1 करोड़ लोगों में से सिर्फ़ 1% भी नेत्रदान करें, तो देश की पूरी ज़रूरत पूरी हो सकती है।
संदेश जो दिल तक पहुँचता है
इस संबंध में आशीर्वाद लेज़र फेको आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. एल.सी. मढरिया ने बताया नेत्रदान सबसे बड़ा दान है। किसी एक व्यक्ति की आँखें दो लोगों की ज़िंदगी बदल सकती हैं। यह वो अमूल्य उपहार है, जो मृत्यु के बाद भी जीवन दे सकता है।
फ़िल्म से समाज तक
फ़िल्म EYE DONATION का पोस्टर लॉन्च केवल एक औपचारिकता नहीं था बल्कि एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत जैसा प्रतीत हुआ। यह पहल बताती है कि जब युवा सोच संवेदनशील हो और कला का उद्देश्य सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि परिवर्तन हो तो समाज में नई रोशनी ज़रूर फैलती है।
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