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June 10, 2025 12:54 am

R.O.NO.-13250/13

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माटी के लाल लक्ष्मण मस्तुरिया को समर्पित पुरखा के सुरता साप्ताहिक आयोजन का द्वितीय दिवस – बंजी में हुई विचार गोष्ठी

एडलीप मोशन पिक्चर में सूर्यकांत का अभिनय क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण

मनेंद्रगढ़ (प्रशान्त तिवारी)छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे और लोककला, गीत-संगीत तथा जनसंघर्षों की आवाज बने स्वर्गीय लोककवि लक्ष्मण मस्तुरिया जी की जयंती पर आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम “पुरखा के सुरता” के द्वितीय दिवस पर ग्राम पंचायत बंजी में “जोगनी लोक कला मंच, बंजी” द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मंच के अध्यक्ष परमेश्वर सिंह की अगुवाई में कलाकारों एवं ग्रामीणजनों की उपस्थिति में सर्वप्रथम लक्ष्मण मस्तुरिया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत उनकी कविताओं की कुछ पंक्तियों और जनगीतों के साथ हुई, जिससे उपस्थित जनसमूह की आंखें नम हो उठीं।
विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने मस्तुरिया के लोककाव्य, जनभावनाओं से जुड़ी रचनाओं तथा उनके अमिट योगदान को याद किया। कलाकारों ने इस अवसर पर लोकगीत और अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।


सांस्कृतिक उत्थान और युवा प्रतिभाओं को मंच देने की अपील…


विचार गोष्ठी के दौरान वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति को जीवित रखने हेतु स्थानीय कलाकारों को प्रशिक्षण, मंच और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल दिया। जोगनी लोक कला मंच के सदस्यों ने बताया कि ग्रामीण अंचल में छिपी हुई कई अनमोल प्रतिभाएं हैं, जिन्हें सही दिशा और अवसर दिया जाए तो वे राज्य और देश का नाम रौशन कर सकती हैं।
इसी क्रम में मंच ने ग्राम पंचायत बंजी के ही उभरते युवा कलाकार सूर्यकांत को विशेष रूप से सम्मानित किया।
सूर्यकांत, जो कि मंच के संयोजक कन्हैयालाल के सुपुत्र हैं, ने हाल ही में रायपुर के आलाप स्टूडियो में एडलीप मोशन पिक्चर्स प्रोडक्शन द्वारा निर्मित एक एल्बम में बतौर हीरो अभिनय किया है। यह एल्बम 8 जून 2025 को रिलीज हुआ है और इसे स्थानीय दर्शकों द्वारा खूब सराहा जा रहा है।
इस उपलब्धि पर उन्हें जोगनी कला मंच के अध्यक्ष द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि उनकी कला यात्रा की शुरुआत इसी मंच से हुई और उन्हें मंच से ही मार्गदर्शन मिला। यह उपलब्धि पर उनके परिवार तथा कला मंच को गर्व का अनुभव हो रहा है।
संगीत की परंपरा और माटी से जुड़ी यादों को ताजा करते हुए
सूर्यकांत ने यह भी बताया कि उनके पूर्वज भी संगीत एवं लोककला के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं, और आज भी उनके घर-परिवार में संगीत एक साधना के रूप में जीवित है। उन्होंने मंच, परिवार और ग्रामीणों का आभार प्रकट करते हुए अपने इस सफर को छत्तीसगढ़ की माटी को समर्पित किया।
कार्यक्रम के समापन में जोगनी कला मंच के वरिष्ठ सदस्य रामलाल, कन्हैयालाल, मेवालाल, जीवन पोया, चंद्रशेखर, राहुल एवं मोहित कुमार ने पुरानी स्मृतियों को साझा किया।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित किया कि छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और परंपरा आज भी जीवित है, और माटी के सच्चे सपूतों की याद में जनमानस एकत्र होकर कला और संस्कृति की लौ को प्रज्ज्वलित रखते हैं।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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