बिलासपुर। मुंगेली जिले के रामबोड़ पावर प्लांट हादसे में मृतक मनोज कुमार धृतलहरे के परिजनों ने शव लेने से इंकार करते हुए दो बड़ी शर्त रख दी है। उचित मुआवजा के साथ जब तक पावर प्लांट में रेस्क्यू का कार्य पूरा नहीं हो जाता, शव का अंतिम संस्कार करने से साफतौर पर इंकार कर दिया है।
अस्पताल में परिजनों के अलावा ग्रामीणों की भारी भीड़ जुट गई है।
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के रामबोड़ स्थित कुसुम पावर प्लांट हादसा में मृत मनोज कुमार धृतलहरे के परिजनों ने शव लेने से साफतौर पर इंकार कर दिया है। प्रशासन के अफसर इस फिराक में थे कि शव का पोस्ट मार्टम कर परिजनों के हवाले कर देंगे। इसके लिए चिकित्सक और प्रशासन से लेकर पुलिस के अफसर दबाव भी बना रहे थे। मुकेश के परिजनों ने मुआवजा के साथ ही पावर प्लांट की चिमनी में फंसे लोगों को बाहर निकाले जाने तक शव से साफतौर मनाही कर दी है।
परिजनों ने बड़ी शर्त रख दी है। इनका कहना है कि पावर प्लांट के राखड़ में दबे मजदूरों के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू आपरेशन पूरा नहीं हो जाता और राखड़ में फंसे मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जाता, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
रामबोड प्लांट हादसे में रेस्क्यू करने के लिए एसडीआरएफ के साथ ही एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई है। मुंगेली जिले के सरगांव थाना क्षेत्र में स्थित कुसुम स्टील प्लांट में हुए हादसे के बाद रात भर रेस्क्यू कार्य चलता रहा। हादसे में एक एक मजदूर की इलाज के दौरान मौत हो गई है। वहीं तीन अन्य मजदूर मलबे में लापता है। जिनकी तलाश के लिए रेस्क्यू कार्य रात भर चलता रहा। चिमनी को बाहर निकालने के लिए हैवी क्रेन भी भिलाई स्टील प्लांट से मंगाया गया है। मौके पर तीन मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है।

रेस्क्यू का जायजा लेने बिलासपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे और आईजी संजीव शुक्ला भी पहुंचे। राखड़ भरे हुए कंटेनर का वजन लगभग डेढ़ सौ टन है। जिसे उठाने के लिए उतनी क्षमता का क्रेन मुंगेली में नहीं था। भिलाई से क्रेन मंगाया गया है। रेस्क्यू के लिए पहले एसडीआरएफ की टीम पहुंची फिर एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई। रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा और आला अफसर भी रात भर जुटे रहे। इस दौरान रामबोड के अलावा आसपास के ग्रामीणों की भीड़ भी प्लांट के चारों तरफ लगी रही। रेस्क्यू कार्य सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए भारी पुलिस बल भी मौजूद रही।

प्रधान संपादक
