बीज निगम द्वारा अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे आधुनिक कृषि यंत्र, 882 किसान हुए लाभान्वित
रायपुर, 29 दिसंबर 2025।प्रदेश के किसान खेती-किसानी में आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर न केवल उत्पादन बढ़ा रहे हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रहे हैं। राज्य शासन की योजनाओं के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा किसानों को शासकीय अनुदान पर आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे किसान विकसित भारत विजन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को उन्नत बीज, आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा खेती के विभिन्न चरणों जुताई, बुआई, रोपाई एवं कटाई के लिए आवश्यक आधुनिक कृषि यंत्र किसानों को चयन के आधार पर अनुदान पर प्रदान किए जा रहे हैं।

निगम द्वारा रोटावेटर, स्व-चलित रीपर, पैडी ट्रांसप्लांटर, लेज़र लैंड लेवलर, पावर वीडर, मल्चर, थ्रेशर, सीड ड्रिल सहित अन्य शक्ति-चलित कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन यंत्रों के उपयोग से उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
समय और लागत दोनों में हो रही बचत
आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से किसानों को समय की बचत के साथ श्रम लागत में भी कमी आ रही है। किसानों का कहना है कि कम समय में सटीक कार्य होने से फसल की गुणवत्ता बेहतर हुई है, जिससे बाजार में उपज का उचित मूल्य मिल रहा है और आय में वृद्धि हो रही है।
882 किसानों को मिला अनुदान का लाभ

बीज निगम का उद्देश्य किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। इसी उद्देश्य से वर्ष 2025-26 में अब तक 882 किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा चुके हैं, जिससे कृषि क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा मिल रहा है।
किसानों के अनुभव
बिलासपुर जिले के किसान नारायण दल्लू पटेल ने बताया कि स्व-चलित रीपर से पहले एक एकड़ फसल की कटाई में 10-12 मजदूर और पूरा दिन लगता था, जबकि अब यह कार्य मात्र 2-3 घंटे में पूरा हो जाता है। इससे कटाई लागत में 50 से 60 प्रतिशत तक कमी आई है।
रायपुर जिले के किसान हीरालाल साहू ने कहा कि रोटावेटर के उपयोग से खेत की तैयारी एक ही बार में हो जाती है। पहले जहां 3-4 दिन लगते थे, अब कुछ ही घंटों में खेत तैयार हो जाता है, जिससे उत्पादन में 20-25 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के किसान लेखूराम छेदईया ने बताया कि सीड ड्रिल मशीन से बोआई करने पर 15-25 प्रतिशत तक बीज की बचत हुई है। समान दूरी और गहराई पर बोआई से अंकुरण बेहतर हुआ और उत्पादन में 20-30 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई।
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