वर्धा, 05 दिसम्बर। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के आवासीय लेखक डॉ. भूषण भावे द्वारा रचित पुस्तक ‘गोवा के पारंपरिक खेल’ का लोकार्पण हाल ही में नागपुर पुस्तक महोत्सव में संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा तथा राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद मराठे ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया।
लोकार्पण कार्यक्रम में कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि वर्तमान दौर की भागदौड़ भरी जीवनशैली में शरीर और मन, दोनों के व्यायाम की आवश्यकता पहले से अधिक बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में मिट्टी और प्रकृति से जुड़ाव कराने वाले पारंपरिक खेलों का विस्तृत परिचय दिया गया है, जिन्हें आज की पीढ़ी तेजी से भूलती जा रही है। प्रो. शर्मा ने युवाओं से आग्रह किया कि पारंपरिक खेलों को अपनाकर न केवल स्वस्थ जीवनशैली विकसित की जा सकती है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित किया जा सकता है।
पुस्तक के लेखक डॉ. भूषण भावे ने बताया कि गोवा के पारंपरिक खेलों में प्राचीन जीवनशैली की छाप स्पष्ट रूप में दिखाई देती है। अधिकांश खेल मैदान, मिट्टी, दलदल, पहाड़, तालाब और खेतों में खेले जाते थे, जिनसे सामूहिकता, सहयोग और समूह भावना को विशेष बल मिलता था। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में 100 से अधिक पारंपरिक खेलों का वर्णन, उनके नियम, खेलने का उचित समय, खिलाड़ियों की संख्या, जीत-हार की प्रक्रिया और प्रत्येक खेल का प्रतीकात्मक चित्र शामिल है। इससे आधुनिक समय में इन खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित करने में भी सुविधा होगी।
डॉ. भावे कोंकणी, मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लेखन करते हैं तथा उनके अब तक 18 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।कार्यक्रम का संचालन विजय पांडे ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान स्नेहा भावे अध्यापक शोधार्थी विद्यार्थी एवं बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी उपस्थित रहे।
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