छत्तीसगढ़ ।रायगढ़ रेलवे स्टेशन में बुधवार तड़के हुई गोलीबारी की घटना ने रेलवे सुरक्षा बल आरपीएफ के आंतरिक कार्यसंस्कृति और ड्यूटी प्रेशर पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार रात में तैनात दो प्रधान आरक्षक एस. लादेर और पी.के. मिश्रा के बीच हुई कहासुनी अचानक हिंसक रूप ले ली जिसके बाद लादेर ने सर्विस पिस्तौल से लगातार चार गोलियां चलाकर मिश्रा को मौके पर ही ढेर कर दिया।
लेकिन इस सनसनीखेज घटना का एक नया पहलू अब सामने आ रहा है क्या लंबे समय से चला आ रहा मानसिक तनाव लगातार नाइट ड्यूटी और आंतरिक विवाद इस फायरिंग का असली कारण थे?यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन अभी तक इस मामले में आरपीएफ के आला अधिकारियों का कोई पक्ष सामने नहीं आया हैं ।
नाइट ड्यूटी के दौरान तनाव का इशारा

आरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि दोनों जवान एक ही बैच के थे और कई दिनों से लगातार नाइट शिफ्ट संभाल रहे थे। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि पोस्ट के भीतर अक्सर ड्यूटी शेड्यूल, काम के दबाव और आपसी मतभेद को लेकर बहसें होती थीं। हालांकि, किसी भी आधिकारिक दस्तावेज में इन दोनों के बीच गंभीर विवाद दर्ज नहीं था।
पोस्ट के माहौल की जांच शुरू

घटना के बाद पूरी आरपीएफ पोस्ट को सील कर दिया गया है और रेल सुरक्षा उच्च अधिकारियों ने पोस्ट के कार्य वातावरण शिफ्ट प्रबंधन और हथियारों के रखरखाव संबंधी नियमों की भी जांच के आदेश दिए हैं।अधिकारी इस बात की भी समीक्षा कर रहे हैं कि हथियारबंद जवानों के बीच तनाव की स्थिति को रोकने के लिए क्या पर्याप्त प्रावधान मौजूद थे या नहीं।
सवाल बड़े हैं, जवाब अभी नहीं

अब सवाल उठने लगा है कि क्या मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन नियमित रूप से किया जाता है?क्या लगातार नाइट ड्यूटी के कारण जवानों में तनाव बढ़ रहा है? क्या पोस्ट स्तर पर वरिष्ठों द्वारा विवाद निपटारे की कोई प्रणाली थी?
इन सवालों पर विभागीय जांच से ही सही जवाब मिलेंगे, लेकिन इतना तय है कि रायगढ़ की यह दर्दनाक वारदात सुरक्षा बलों में बढ़ते मानसिक दबाव और सिस्टम की खामियों को उजागर कर रही है।
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