यूनिटी में पड़ी फूट
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म शताब्दी समारोह में देशभर में यूनिटी फार रन का आयोजन भाजपा कर रही है। बिलासपुर का जिम्मा केंद्रीय राज्य मंत्री को दिया गया था। यूनिटी के लिए भाजपाई के छोटे से लेकर बड़े नेता शहरवासियों के साथ दौड़ लगाई। दौड़ते-दाैड़ते दो नेताओं की सियासी महत्वाकांक्षा इस कदर टकराई कि चारो तरफ सियासी हाहाकार मच गया। अनुशासित पार्टी में ऐसी अनुशासनहीता और वह भी पब्लिक प्लेटफार्म पर, जिसने देखा वे तो दंग रह गए जिसने सुना वे भी हैरत में पड़ गए। जिस वक्त दो नेताओं के बीच हाट टॉक चल रहा था मंत्री से लेकर नेता और पूरी पब्लिक। पब्लिक है, ये सब जानती है। पता नहीं पब्लिक का रिएक्शन आगे चलकर क्या होगा। ये तो भगवान भी नहीं जान पाएंगे। पब्लिक जो सोचती है और जो करती है, उसके सोचने से लेकर कुछ करने तक नेता से लेकर पार्टी सांसत में रहती है। पता नहीं कब रंक से राजा बना दे और राजा से रंक। आगे-आगे देखते हैं होता है क्या।
इनकी तो बल्ले-बल्ले, खूब लिए मजे
एकता के लिए दौड़ में दो नेताओं के बीच फ्रंट लाइन में आने के लिए फूट क्या पड़ी, इनके तो बल्ले-बल्ले हो गए हैं। चेहरे से कुछ अलग बयान कर रहे हैं और मन ही मन लड्डू जो फूट रहा है। यूनिटी एपिसोड इनके लिए काफी अच्छा रहा जो बेलतरा से लेकर आसपास की सीटों पर नजर गढ़ाए हैं और इनफ्यूचर संभावना तलाश रहे हैं। यूनिटी एपीसोड के बाद शहर में इस बात की हर तरफ चर्चा है। चर्चा के बीच किसी के मुंह से यह नहीं निकल रहा है कि चलो दोनों के बीच सुलह समझौता करा दिया जाए। दूरी कम करने के बजाय बढ़ाने में ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। यही तो सियासत है। तेल देखो और तेल की धार देखो वाली कहावत पर नेता चल रहे हैं। नेता जब इस राह चलेंगे तब तो मानकर चलिए चमचे भी उसी राह हो ही लेंगे। लिहाजा हो ही लिए हैं। दूरी कम करने के बजाय बढ़ाने में लगे हैं। नेताजी के भरोसे पर खरा जो उतरना है। लिहाजा अपनी तरफ से जो भी बन पड़ रहा है योगदान दे ही रहे हैं। अभी तो नाम पर नामों पर अटकलेे लगाइए, कुछ गेसिंग कीजिए। समय आने पर खुद ही सब सामने आ जाएगा। इसके बाद भी नहीं आए तो फिर हम आपके सामने एक-एक नाम सामने लाएंगे। फिलहाल गेस करिए और नामों का पता लगाइए।
ये तो होना ही था, आओ हम सब करें स्वागत
बिलासपुर को यूं ही नहीं कहा जाता, छत्तीसगढ़ की न्यायधानी। यहां जो कुछ होता है उसके मायने भी बेहद गंभीर और दूरगामी परिणाम लाने वाला रहता है। हम बात कर रहे हैं सर्वब्राम्हण प्रीमियर लीग। क्रिकेट टूर्नामेंट तो अपने नेशनल से लेकर इंटरनेशनल और लोकल सभी तरह के देखे होंगे। क्रिकेट प्रेमी हैं तो इसका आनंद भी इसी अंदाज में उठाए होंगे। बिलासपुर में हाल फिलहाल जो क्रिकेट लीग चल रहा है इसके पहले ना तो आपने सुना होगा और ना ही देखा होगा। सर्वब्राम्हण क्रिकेट टूर्नामेंट। मौजूदा सियासत में जो कुछ चल रहा है और आने वाले समय में जैसा चलने की उम्मीद है,यह तो होना ही था। क्रिकेट के बहाने ही सही, एकजुटता जरुरी है। यह समय की मांग है और सियासत की डिमांड भी। जो भी हो देर आए दुरुस्त आए। अंदाज अच्छा है जो अंजाम भी शानदार रहेगा ही।
बिहार को लेकर होने लगी चर्चा
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर मीडिया जगत में जोर शोर से चर्चा चल रही है। सरकार रिपीट होगी या फिर नई सरकार काबिज होगी। नीतिश सीएम रिपीट होंगे या फिर चेहरा बदला नजर आएगा। एक्जिट पोल में तो एनडीए की सरकार बनना तय माना जा रहा है। एक्जिट पोल में इंडिया गठबंधन सरकार बनाने की दौड़ में आसपास भी नजर नहीं आ रहा है। एनडीए रिपीट हो या फिर इंडिया गठबंधन की पराजय। बदनाम तो बेचारी ईवीएम को ही होना है। इंडिया गठबंधन सरकार में आई तब तो ईवीएम की जय-जय, नहीं तो पता नहीं बेचारी पर क्या-क्या तोहमत लगे। चलिए आपके साथ हम भी यह सुनने के लिए माइंडसेट कर ही लेते हैं।
अटकलबाजी
सर्व ब्राम्हण क्रिकेट लीग के बाद आगे की राजनीति किस अंदाज में दौड़ेगी। बिलासपुर से शुरू हुई सियासत अब कहां-कहां जाएगी। आने वाले चुनाव में क्या रंग नजर आएगा। फायदे में कौन-कौन रहने वाले हैं।
रन फार यूनिटी एपीसोड के बाद राजनीतिक रूप से किसका वजन कम हुआ। राजधानी संदेश पहुंचाने वालों ने क्या नैरेटिव सेट किया।
प्रधान संपादक





