जनजातीय धरोहर का उत्सव विषय पर हुआ व्याख्यान, चित्र प्रदर्शनी का भी हुआ उद्घाटन
देश के समृद्ध जनजातीय इतिहास को सामने लाने की जरूरत : प्रो. टी.वी. कट्टीमणि
वर्धा।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में मंगलवार को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जनजातीय धरोहर का उत्सव विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जी.बी. पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष एवं केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के पूर्व कुलपति प्रो. टी.वी. कट्टीमणि मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने की।
प्रो. कट्टीमणि ने कहा कि भारत के जनजातीय समाज का इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है, किंतु उसे उचित रूप में सामने लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज स्वतंत्र सोच वाला समाज है, जो मुक्त जीवन जीना चाहता है। उन्होंने बिरसा मुंडा के बलिदान को याद करते हुए कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव के प्रतीक हैं। सामान्य परिवार में जन्म लेकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई और देश की आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके त्याग और योगदान के सम्मान में भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

मुख्य वक्ता ने आदिवासी समाज की कला, संगीत वाद्य चित्रकला और लोकपरंपराओं की चर्चा करते हुए कहा कि इन पर लेखन और शोध कार्य को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदी के विस्तार में आदिवासी भाषाओं का तड़का जरूरी है। यदि हम उनकी भाषाओं, औषधीय ज्ञान और पाक-कला र कार्य करें तो आने वाले दशकों के लिए भारत का सांस्कृतिक भविष्य समृद्ध हो सकता है। उन्होंने आदिवासी अध्ययन को अक्षय पात्र बताते हुए कहा कि इस पर सतत अनुसंधान से जनजातीय समाज में जागृति, एकता और शिक्षा का प्रसार संभव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि राष्ट्रनिर्माण में आदिवासियों की भूमिका को पर्याप्त रूप से नहीं रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें जनजातीय भाषाओं पर कार्य करना चाहिए। आदिवासियों की संस्कृति और उत्सव उनकी समृद्ध विरासत का परिचय कराते हैं, जिन्हें आत्मसात कर हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम में प्रो. कट्टीमणि का स्वागत कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने शॉल, सूतमाला और विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया। इस अवसर पर अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया तथा बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

व्याख्यान से पूर्व जनजातीय नायकों पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन अटल बिहारी वाजपेयी भवन में कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा एवं प्रो. टी.वी. कट्टीमणि ने संयुक्त रूप से किया। यह प्रदर्शनी 15 नवम्बर तक सभी के लिए खुली रहेगी।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण प्रो. अवधेश कुमार, अधिष्ठाता संस्कृति विद्यापीठ ने दिया। संचालन डॉ. सुनील कुमार, सहायक प्रोफेसर हिंदी साहित्य विभाग ने किया तथा आभार ज्ञापन कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ कुलगीत से तथा समापन राष्ट्रगान से हुआ।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यापक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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