हादसे के बाद भी रेलवे के सीपीआरओ ने ना फोन उठाया और ना ही कोई जानकारी देना उचित समझा सीपीआरओ की चुप्पी पर भी रहे है सवाल, स्थानीय लोगों ने कहा इतना बड़ा हादसा हो गया और रेलवे प्रशासन जवाब देने तक को तैयार नहीं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।
बिलासपुर। लाल खदान के पास गेवरा मेमू और मालगाड़ी के बीच हुए भीषण रेल हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। हादसे की सूचना मिलते ही कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह हादसा तकनीकी लापरवाही का नतीजा है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा से समझौता कर कोयला लदान को प्राथमिकता दी है।

विधायक श्रीवास्तव ने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए घायलों के समुचित इलाज की मांग की। वे हादसे की खबर मिलते ही राजेंद्र शुक्ला प्रमोद नायक अभय नारायण राय जितेंद्र पांडे शिवबालक कौशिक सुरेश ठाकुर सहित साथियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और राहत कार्यों में जुट गए।
अटल श्रीवास्तव ने कहा कि रेलवे की लापरवाही अब जानलेवा साबित हो रही है कोयला परिवहन के दबाव में यात्री गाड़ियों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह घटना उसी गंभीर चूक का परिणाम है।उन्होंने हादसे की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।बाद में श्रीवास्तव रेलवे हॉस्पिटल पहुंचे, जहां उन्होंने घायलों का हालचाल लिया और अस्पताल प्रबंधन को बेहतर इलाज के निर्देश दिए।

इस बीच बिलासपुर विधायक दिलीप लहरिया भी मौके पर पहुंचे। दोनों विधायकों ने जिला प्रशासन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से बातचीत कर राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने आग्रह किया कि “सबसे पहले घायलों के इलाज और परिजनों की व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए।
कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधिमंडल अटल श्रीवास्तव दिलीप लहरिया राजेंद्र शुक्ला प्रमोद नायक अभय नारायण राय जितेंद्र पांडे और शिवबालक कौशिक ने रेलवे हॉस्पिटल और सिम्स अस्पताल जाकर घायलों व उनके परिजनों से मुलाकात की और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

समाचार लिखे जाने तक कांग्रेस के मुताबिक़ मृतकों की संख्या 10 तक पहुंच चुकी है, जो और बढ़ सकती है। हादसे के बाद भी रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं, जबकि सीपीआरओ की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं।स्थानीय लोगों ने कहा इतना बड़ा हादसा हो गया और रेलवे प्रशासन जवाब देने तक को तैयार नहीं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।
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