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November 13, 2025 3:10 pm

राज्योत्सव में बॉलीवुड के पार्श्व गायक आदित्य नारायण सहित छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने बिखेरा रंग

सुरमई शाम से सजी महफ़िल -छत्तीसगढ़ी संस्कृति और आधुनिक संगीत का मनोहारी संगम

रायपुर।छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित भव्य राज्योत्सव में रविवार की शाम रंग, रोशनी और सुरों से सराबोर हो गई। मंच पर जब एक ओर छत्तीसगढ़ की मिट्टी की महक लिए लोकगायन गूंजा वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड के गीतों ने महफ़िल को सुरमई बना दिया।

शाम की शुरुआत प्रख्यात लोकगायक सुनील तिवारी की प्रस्तुति से हुई। राज्य अलंकरण चक्रधर कला सम्मान (2021) से सम्मानित तिवारी ने अपने लोकगायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मोर भाखा के संग दया मया के सुघ्घर हवे मिलाप रे और अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा कौनो संग जैसे गीतों ने पूरा पंडाल तालियों की गूंज से भर दिया। राऊत राजगीत ददरिया सोहर विवाह पंथी और होली गीतों की लड़ी में तिवारी ने लोकसंगीत की परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम पेश किया।

उनके चर्चित गीत पता ले जा रे गाड़ी वाला…अरपा पैरी के धार और मोर संग चलव रे पर दर्शक झूम उठे। सामूहिक कर्मा नृत्य के माध्यम से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुके तिवारी ने लोकगायन की गरिमा को नई ऊंचाई दी।

चिन्हारी – द गर्ल बैंड ने बढ़ाई चमक

लोकगायन के बाद मंच संभाला जयश्री नायर और मेघा ताम्रकार की जोड़ी ने, जो अपने बैंड चिन्हारी – द गर्ल बैंड’ के साथ आई थीं। बैंड की प्रस्तुति में लोकधुनों की आत्मा के साथ आधुनिक संगीत का संयोजन दर्शकों को खूब भाया। उनकी ऊर्जावान प्रस्तुति ने माहौल में नई ताजगी घोल दी। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।

आदित्य नारायण के गीतों पर थिरका रायपुर

सांस्कृतिक संध्या का आकर्षण बने बॉलीवुड के लोकप्रिय पार्श्वगायक आदित्य नारायण। उन्होंने एक के बाद एक हिट गीतों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा पहला नशा पहला खुमार बिन तेरे सनम जो तुम न हो अपना बना लो पिया केशरिया इश्क है तेरा वादा रहा सनम ये काली-काली आंखें कोई मिल गया, मेरा दिल गया और मैं निकला गड्डी लेके जैसे गीतों ने माहौल में जोश भर दिया।आदित्य नारायण की संवाद शैली ऊर्जा और मंच पर उनका जीवंत अंदाज दर्शकों के दिलों को छू गया।

नाचा की प्रस्तुति ने समेटा छत्तीसगढ़ का रंग

कार्यक्रम के अंतिम चरण में पद्मश्री डोमार सिंह कंवर की नाचा प्रस्तुति ने राज्योत्सव की शाम को लोकसंस्कृति की गहराई से भर दिया। उनकी नाट्य शैली और छत्तीसगढ़ी हाव-भाव से सजी प्रस्तुति ने परंपरा को जीवंत कर दिया।

राज्योत्सव की यह सुरमई संध्या छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति, संगीत और कलात्मक वैभव के साथ बॉलीवुड की चमक का अद्भुत संगम बनी। हर प्रस्तुति पर दर्शक तालियों से गूंज उठे। यह केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की सांस्कृतिक यात्रा का जीवंत दस्तावेज बन गई जहां हर गीत हर नृत्य और हर ताल में राज्य की समृद्ध कला और संस्कृति झलकती रही।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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