बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नाबालिग छात्रा से मारपीट, धमकी और मानसिक उत्पीड़न के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता, केस डायरी और पीड़िता की गरिमा को ठेस पहुंचाने की बात को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया।
मामला राजधानी रायपुर के पंडरी थाना क्षेत्र का है। जहां एक आवासीय सोसायटी में रहने वाली महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ हुई घटना को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत के अनुसार, 22 अप्रैल को आरोपित अक्षय शर्मा, ईशान और आदर्श ने उसकी बेटी को डंडे से पीटने की धमकी दी और उसी दिन उसके साथ मारपीट भी की गई। अगले दिन सोसायटी की लिफ्ट में मैं तुम्हें मार दूंगा लिखा मिलने से पीड़िता और परिवार बेहद डर गए। पुलिस ने मामले को गंभीर मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 75, 296, 351(3), 3(5) और पाक्सो एक्ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद आरोपित अक्षय शर्मा ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की। याचिका में दावा किया गया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है और प्राथमिकी भी देर से दर्ज कराई गई है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने पीड़िता के बयान और सबूतों के आधार पर आरोपों को सही ठहराया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, नाबालिग बालिका के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप हैं और पाक्सो अधिनियम की धारा 12 लागू होने के कारण यह मामला अग्रिम जमानत के योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में न केवल पीड़िता की सुरक्षा बल्कि समाज में बालकों की गरिमा बनाए रखने के लिए सख्त रुख अपनाना आवश्यक है। इस आदेश के साथ कोर्ट ने आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।



