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June 1, 2025 12:43 pm

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एक जनप्रतिनिधि की सफलता के पीछे उनके PA/PS की होती है विशेष भूमिका :डॉ. रमन सिंह

विधानसभा में आयोजित हुआ मंत्री/विधायको के PA/PS का प्रशिक्षण कार्यक्रम

यह PS/PA प्रशिक्षण कार्यक्रम लोकतंत्र को सशक्त करने की ऐतिहासिक पहल

रायपुर. विधानसभा में एक दिवसीय PA/PS प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. 100 से अधिक निज सचिव/सहायक शामिल हुए. नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने कार्यक्रम को संबोधित किया.

छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंत्रियों एवं सदस्यों के निज सचिव/निज सहायक (PA/PS) के लिए आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह आयोजन लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, षष्ठ्म विधान सभा गठन के बाद सबसे पहले हमने मंत्रियों और विधायकों को IIM, रायपुर में प्रशिक्षण दिया और अब उनके सबसे करीबी सहयोगियों निज सचिवों (PS) और निज सहायकों (PA) के लिए यह विशेष विधानसभा में प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। यह इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन करोड़ की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में करीब सौ लोग ही ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर विधायकों और मंत्रियों के साथ कार्यरत हैं। यह आप सभी PA/PS की जिम्मेदारी होती है कि अपने जनप्रतिनिधि को मजबूत करें, उनका सहयोग करें जिससे की शासन की योजनाओं को जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुंच पाए।

विधानसभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि, निज सचिव, निज सहायक ही जनप्रतिनिधि की सफलता के सशक्त स्तंभ हैं। वे न केवल क्षेत्रीय जनता के संपर्क में रहते हैं, बल्कि विधायक या मंत्री की सार्वजनिक छवि और प्रदर्शन को भी निखारने का काम करते हैं। उनकी सजगता और दक्षता सीधे तौर पर शासन की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है।
निज सचिव, निज सहायक को मंच के पीछे रहकर सारी भूमिका निभानी पड़ती है। आपका परफॉर्मेंस अच्छा होगा तो मंत्री विधायक सफल होंगे। मैंने कई मंत्रियों, विधायकों को कई बार जीतते देखा है। PA, PS की छवि बेहतर रही इसलिए भी वे जीते।

विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा “हर विधायक को अपने क्षेत्र की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। उन्हें सक्रिय रहकर विकास कार्यों की प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए। चाहे वह छोटे-छोटे कार्य हों या बड़े नीतिगत निर्णय, उनकी निगरानी और दिशा का निर्धारण विधायक स्वयं करें तभी जन विश्वास मजबूत होगा।

प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि हर व्यक्ति को जीवन भर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। उन्होंने इस प्रशिक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, “अगर किसी विधायक या मंत्री को बर्बाद करना है तो उनका PA या PS कर सकता है, और अगर उन्हें सफल बनाना है तो भी वही कर सकता है।”
डॉ. महंत ने बताया कि वर्तमान विधानसभा में 51 नए विधायक निर्वाचित होकर आए हैं। उन्होंने कहा कि केवल कागजों पर दस्तखत करवाना या चिट्ठी लिखवाना ही एक निज सहायक की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उन्हें अपने जनप्रतिनिधि के सच्चे सहयोगी के रूप में कार्य करना चाहिए। विधायक अथवा मंत्री की अच्छाइयों और कमजोरियों से उन्हें अवगत कराना और जनसेवा में उनकी भूमिका को मजबूती देना आवश्यक है।

पूर्ववर्ती सरकार के समय इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविर आयोजित नहीं किए गए, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने स्पष्ट कहा, “यदि हमारे PA और PS को अंधेरे में रखा गया, तो हमसे कई गलत निर्णय भी हो सकते हैं। किसी भी नेता की हार या जीत में उनका सहयोग निर्णायक होता है।”

कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने संबोधित किया और कहा कि सदन के संचालन में निज सचिवों और सहायकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ये लोग ही जनप्रतिनिधियों के सहयोगी बनकर कार्य करते हैं। उनकी सजगता और दक्षता ही जनसेवा की गुणवत्ता तय करती है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के विशेष सचिव अरुण बिसेन ने “निज सचिव/निज सहायक की विधान सभा एवं शासन में समन्वय हेतु भूमिका, सोशल मीडिया एवं टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग” विषय पर निज सचिव/निज सहायक को संबोधित करते हुए अपने 23 वर्षों के प्रशासनिक अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग कर जनप्रतिनिधि की छवि को बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एक निज सहायक जनप्रतिनिधि को जनता से जोड़ने में एक सशक्त सेतु की भूमिका निभा सकता है।

अरुण बिसेन ने कहा कि जरूरतमंदों को स्वेच्छानुदान की राशि कैसे सूचीबद्ध और पारदर्शी तरीके से प्रदान की जा सकती है, यह समझना आवश्यक है।
जब आपके पास कोई भी व्यक्ति चिकित्सा संबंधी कोई गंभीर सहायता के लिए आता है तब आपको व्यक्तिगत रूप से समर्पित होकर कार्य करना पड़ता है उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए 2011 की एक घटना का उल्लेख किया, जब एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का लिवर ट्रांसप्लांट दो राज्यों के बीच समन्वय स्थापित कर सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि किसी भी क्षेत्र से यदि कोई व्यक्ति स्वास्थ्य या अन्य गंभीर समस्या लेकर आता है, तो निज सचिव को उसमें व्यक्तिगत रूप से शामिल होना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंत्रियों और विधायकों से व्यवहार पर भी विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि सदन में व्यवहार कुशलता और गरिमा ही विधायक या मंत्री की सकारात्मक छवि निर्माण में सहायक होती है। उन्होंने कहा कि आप सभी PA/PS अपने जनप्रतिनिधियों के सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में से होते हैं, अतः हर कदम पर उनकी पूर्ण सहायता करें।

डिजिटल युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वर्चुअल डॉक्यूमेंट, डिजिटल फाइल्स, क्लाउड स्टोरेज और गूगल ड्राइव जैसे टूल्स के प्रभावी उपयोग की सलाह दी। उन्होंने विशेष रूप से यह बताया कि निज सचिवों को स्वयं को लगातार अपडेट करते रहना चाहिए। उन्होंने अपने ही उदाहरण से प्रेरित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्यरत होते हुए IIM रायपुर से MBA की डिग्री अर्जित की है, और यह सिद्ध करता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

विधानसभा उप सचिव दिनेश त्रिवेदी ने विधान सभा का गठन एंव विधान सभा के सत्र, विधान सभा का गठन /विघटन, विधान सभा के सत्र / सत्र की अधिसूचना, सत्र हेतु आमंत्रण पत्र एवं जारी दिनदर्शिका / पत्रक भाग-दो, प्रश्नों की सूचना की दिनांक दर्शाने वाला विवरण, माननीय मंत्रियों से अपेक्षित सदन में कार्य (मोशन / प्रश्नोत्तर इत्यादि), सदस्यों द्वारा पालनीय नियम, माननीय राज्यपाल का अभिभाषण, माननीय राज्यपाल का समारोहपूर्वक सभा में आगमन, माननीय राज्यपाल का अभिभाषण, माननीय राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव, कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर संशोधन की सूचना/प्रक्रिया एवं सभा में चर्चा पर, अवर सचिव ने सुधीर शर्मा ने प्रश्न एवं प्रश्न काल, सत्र में प्रश्नों की सूचना से संबंधित प्रपत्र एवं तिथियां, प्रश्नों के प्रकार, प्रश्नावली का वितरण, अनुपस्थित सदस्यों के प्रश्न, प्रश्नों की ग्राहयता/अपूर्ण उत्तर/ प्रश्नों पर आधे घण्टे की चर्चा पर, संचालक (सुरक्षा) ज्ञानेन्द्र उपाध्याय ने सुरक्षा व्यवस्था संबंधी, विधान सभा की सुरक्षा व्यवस्था, विधान सभा में प्रवेश पर, उप सचिव आशीष शुक्ला ने लोक महत्व के विषय पर स्थगन प्रस्ताव/ध्यानाकर्षण सूचना एवं शून्यकाल, स्थगन प्रस्ताव, सूचना देने की प्रक्रिया / ग्राह्यता, ध्यानाकर्षण सूचना की प्रक्रिया/समय, शून्यकाल एवं शून्यकाल की सूचनाएं, अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा, याचिका, संकल्प एवं विधान सभा की समितियां, याचिका प्रस्तुत करने की प्रक्रिया, अशासकीय संकल्प ,संकल्प पर चर्चा एवं संशोधन, संकल्प का पारण/ मतदान, विधान सभा की विभिन्न समितियां, उनकी बैठकें एवं कार्यप्रणाली पर, उप सचिव दिनेश त्रिवेदी ने सदस्य सुविधा एवं सदस्य लेखा, सदस्यों को सामान्य सुविधाएं, विधायकों के आवासों का आबंटन/नियम, सदस्यों के वेतन, यात्रा भत्ता, चिकित्सा भत्ता देयक, सदस्यों के पत्रों के उत्तर एवं शासकीय अधिकारियों द्वारा व्यवहार संबंधी निर्देश पर, अनुसंधान अधिकारी डॉ. बलराम शुक्ला ने वित्तीय कार्य, आय-व्ययक (बजट) एवं अनुपूरक अनुमान, आय-व्ययक का उपस्थापन एवं बजट साहित्य का वितरण, बजट पर सामान्य चर्चा, कटौती प्रस्ताव की सूचना एवं ग्राह्ययता, अनुदान मांगों पर विभागवार चर्चा, विधायी कार्य, विधेयक एवं उनके प्रकार, विधेयक का वितरण एवं पुरःस्थापन, विधेयक पर संशोधन, विधेयक पर चर्चा एवं पारण, विधेयक से अधिनियम, वरिष्ठ सूचना अधिकारी ने जी.एस. सलूजा मान. सदस्यों के सफल जनप्रतिनिधि तथा संसदीय दायित्व निर्वहन में सहयोगी के रूप में भूमिका विषय पर अपना संबोधन दिया।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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