जन भागीदारी से कुपोषण मुक्त समाज बनाने की पहल
अभियान में लगभग 4000 बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने का लक्ष्य
कलेक्टर बोले-कुपोषण गरीबी से नहीं, जानकारी की कमी से जुड़ा है
बिलासपुर. जिले में अब कुपोषण के खिलाफ जंग जन भागीदारी से मिशन मोड में लड़ी जाएगी। कुपोषण की रोकथाम हेतु सेहत ही असली पूंजी है- सही पोषण थीम पर विशेष सुपोषण अभियान पोट्ठ लईका पहल के तहत प्रार्थना सभा भवन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि कुपोषण का संबंध गरीबी से नहीं जानकारी की कमी से जुड़ा है। अभियान का उद्देश्य जिले के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज 9000 से अधिक बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालना है। प्रशिक्षण सत्र के माध्यम से महिलाबाल विकास विभाग के अधिकारियों सीडीपीओ, पर्यवेक्षक, एनआरएलएम सदस्यों को यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञों द्वारा पोषण के विषय में गहन जानकारी दी गई। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल, महिला बाल विकास विभाग अधिकारी सुरेश सिंह भी मौजूद रहे। अभियान के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा किया कि यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि व्यवहार परिवर्तन और स्थानीय संसाधनों के उपयोग व सामुदायिक भागीदारी पर आधारित जनआंदोलन है। उन्होंने कहा, “कुपोषण का संबंध गरीबी से नहीं, जागरूकता की कमी से है। यदि भोजन संतुलित और साफ हो तो कोई बच्चा कुपोषित नहीं रहेगा।”
कलेक्टर ने कहा कि हर बच्चा राष्ट्र का बच्चा है। सभी बच्चों की देखभाल सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण, सफाई, नियमित जांच और संतुलित आहार के ज़रिए बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है। उन्होंने तिरंगा भोजन को अपनाने की अपील की, जिससे बच्चों को संपूर्ण पोषण मिल सके। उन्होंने कहा कि जिले में एक भी बच्चा कुपोषित न हो, इसके लिए सामूहिक प्रयास और जन भागीदारी जरूरी है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय अग्रवाल ने बताया कि कोटा ब्लॉक जिले का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है, जहां कुपोषण की दर सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में विशेष रणनीति के साथ काम किया जाएगा। जिले को कुपोषण से मुक्त करने के लिए अधिक प्रयास की जरूरत है। महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह ने अभियान की संक्षिप्त जानकारी दी और कहा कि कलेक्टर सर के मार्गदर्शन में जिले को कुपोषण मुक्त बनाने सभी कदम उठाए जाएंगे।
उल्लेखनीय हैं कि अभियान के अंतर्गत हर बच्चे का व्यक्तिगत डाटा तैयार किया जाएगा और उसकी पोषण स्थिति पर निगरानी रखी जाएगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पालकों को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार किया गया है ताकि वे घर पर पोषण और स्वच्छता का पालन कर सकें।
इस अभियान में शामिल प्रमुख गतिविधियाँ
हाई स्कूल के बच्चों का हीमोग्लोबिन टेस्ट, किशोरी बालिकाओं को आयरन और फोलिक एसिड की जानकारी, पालक चौपाल, माता गोष्ठी, विशेषज्ञ सत्रों के ज़रिए जनजागरूकता, पोषण पर आधारित 15 विषयों की गाइडबुक के आधार पर कार्य।
कार्यशाला में यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र प्रजापति और एम्स रायपुर के पोषण समन्वयक जॉन वरुण एलेक्जैंडर ने विभिन्न सत्रों के माध्यम से बच्चों में कुपोषण के प्रभाव, पोषण आहार, पालक चौपाल, कुपोषण की पहचान, कुपोषण से बचाने की विभिन्न आहार शैलियों के साथ ही हमर स्वस्थ्य लइका और स्तनपान के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यशाला में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर अपने क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला समूह की सदस्यों को इस विषय पर जानकारी देंगी, जिनके माध्यम से कुपोषण के प्रति व्यापक जनजागरुकता और व्यवहार परिवर्तन का प्रसार होगा।

प्रधान संपादक