बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सूरजपुर जिले के बहुचर्चित गैंगरेप केस में पांच दोषियों को आंशिक राहत दी है। कोर्ट ने पाक्सो, एससी/एसटी और आइटी एक्ट के तहत दोषमुक्त किया, लेकिन आइपीसी की गंभीर धाराओं में सजा को बरकरार रखा। पीड़िता की सुसंगत गवाही, गर्भावस्था और बच्चे का जन्म घटना की पुष्टि करते हैं, ऐसा कहते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल वीडियो न मिलना या डीएनए रिपोर्ट मैच न होना दोषियों को नहीं बचा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि, समूह का कोई एक व्यक्ति भी दुष्कर्म करता है और अन्य लोगों की मंशा भी उसका साथ देने की है, तो सभी दुष्कर्म के दोषी माने जाएंगे। ट्रायल कोर्ट ने सभी को 20 साल तक की सजा दी थी। हाई कोर्ट ने माना कि पीड़िता की उम्र 18 से कम साबित नहीं हुई और जाति प्रमाण पत्र घटना के 10 महीने बाद बना। आइटी एक्ट में कोई वीडियो बरामद नहीं हुआ। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आइपीसी की धाराओं के तहत सजा यथावत रहेगी और ट्रायल कोर्ट को आदेश पालन के निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति श्रीमती रजनी दुबे की खंडपीठ ने यह फैसला को सुनाया है। अदालत ने कहा कि पीड़िता की स्पष्ट, सुसंगत और चिकित्सकीय रूप से पुष्ट गवाही के आधार पर गैंगरेप सिद्ध होता है।
19 दिसंबर 2021 को आरोपित मासूक रजा उसे बुलाकर एक सुनसान जगह ले गया, जहां पहले से मौजूद चार अन्य आरोपित अब्बू बकर उर्फ मोंटी, अशरफ अली उर्फ छोटू, मोहित कुमार व विनीत कुमार ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपितों ने घटना का वीडियो भी बना लिया और वायरल करने की धमकी दी। जनवरी और फरवरी 2022 में भी अलग-अलग जगहों पर पुनः गैंगरेप की घटनाएं हुईं। डर के मारे उसने किसी को कुछ नहीं बताया। गर्भवती होने पर उसने स्वजनों को बताया और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।
20 दिसंबर 2023 को विशेष न्यायाधीश सूरजपुर ने सभी आरोपितों को दोषी ठहराते हुए विभिन्न धाराओं में 4 से 20 साल तक की कठोर सजा सुनाई थी। सभी को धारा 363/34 (अपहरण) में 4 वर्ष, धारा 366/34 (युवती को बहला-फुसलाकर ले जाना) में 6 वर्ष, धारा 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म) में 20 वर्ष, धारा 6 पाक्सो अधिनियम के तहत 20 वर्ष, एससी/एसटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास और धारा 67 बी आइटी एक्ट में 5 वर्ष और ₹एक लाख का जुर्माना की सजा दी गई थी।

प्रधान संपादक