जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि इवेंट के लिए किया आमंत्रित, सवाल उठ रहा है कि एसईसीएल में ऐसा क्या इवेंट था जिसके लिए अफसरों ने कुछ खास चहेते पत्रकारों को ही बुलाना ठीक समझा
बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण उपक्रम एसईसीएल हेड क्वार्टर में कार्यरत आला अधिकारियों और जनसंपर्क विभाग में पदस्थ अफसरों की कारगुजारी देखिए, मुख्यालय से लेकर मैदानी इलाकों में चल रहे गफलत पर पर्दा डालने मीडिया में दो फाड़ की कोशिश शुरू कर दी है। मनमाफिक खबरों के प्रकाशन के लिए मीडिया मैनेज करने से लेकर कुछ चुनिंदा पत्रकारों को टेबल में बैठाकर अपने मनमाफिक खबरों का प्रकाशन कराने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। एसईसीएल में इस तरह की परंपरा की शुरुआत बीते कुछ अरसे से देखी जा रही है। इसे लेकर मीडिया अब एकजुट होते जा रहा है। केंद्रीय कोयला मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर इस संबंध में शिकायत करने का निर्णय मीडिया से जुड़े पत्रकारों ने ली है।

केंद्रीय उपक्रम के बिलासपुर स्थित मुख्यालय में यह परंपरा रही है कि वार्षिक कामकाज का ब्यौरा देने के लिए सीएमडी व आला अफसर बिलासपुर शहर के पत्रकारों को आमंत्रित किया करते थे। इस दौरान केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ ही एसईसीएल में चल रहे कामकाज की जानकारी देना व मीडिया से सीधेतौर पर रु-ब-रू होने की परंपरा थी। इस परंपरा को एसईसीएल के अफसरों ने अब धता बता दिया है। हाल के दिनों में एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के अफसरों के इशारे पर जनसंपर्क विभाग ने सीमित पत्रकारों के साथ गोपनीय प्रेसवार्ता आयोजित कर डाली। सीमित पत्रकार और गोपनीय पत्रवार्ता का मतलब आप साफतौर पर समझ सकते हैं। इस बात की चर्चा हो रही है कि यह पत्रवार्ता कम मैनेज करने की सोची समझी चाल थी। मीडिया मैनेज और पत्रकारों को मैनेज करने के लिए टेबल टाक कर अफसरों ने अपने मनमाफिक खबरें भी प्रकाशित करा ली। आला अफसरों को संदेश दे दिया कि बिलासपुर में सब कुछ ओके है। प्रेस कांफ्रेंस भी हमने करा ली। मीडिया में प्रकाशित खबरों की कतरनें भी ऊपर भेज दी।

इस बार भी ऐसी ही एक प्रेसवार्ता हुई, जिसमें कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों को ही आमंत्रित किया गया। इससे नाराज पत्रकारों के एक बड़े वर्ग ने इसे “गुप्त प्रेसवार्ता” की संज्ञा दी है। उनका कहना है कि एसईसीएल का यह रवैया पत्रकारिता की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि यदि किसी भी सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था को मीडिया से संवाद करना है, तो उसे सभी accredited या सक्रिय पत्रकारों को समान रूप से आमंत्रित करना चाहिए। कुछ चुनिंदा पत्रकारों को बुलाकर की गई वार्ता न केवल पक्षपात को दर्शाती है, बल्कि यह एसईसीएल संस्था की कार्यप्रणाली पर भी भारी सवाल खड़े करती है।
वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि यह सिलसिला अब आम होता जा रहा है, जो कि मीडिया की एकता और लोकतांत्रिक संवाद प्रक्रिया के लिए खतरे की घंटी है। पत्रकार संघों ने इस विषय पर जल्द ही एक बैठक बुलाकर एसईसीएल, कोल इंडिया और प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई है।
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्रा

मीडिया को मैनेज करने की चाल और गोपनीय पत्रवार्ता को लेकर एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्रा सफाई देते हुए कहा कि, “यह कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं थी। केवल एक इवेंट का कवरेज करने के लिए कुछ पत्रकारों को आमंत्रित किया गया था।” उन्होंने दावा किया कि प्रेसवार्ता जैसा कुछ भी आयोजित नहीं किया गया था, बल्कि यह केवल एक कार्यक्रम की मीडिया कवरेज थी।
जनसंपर्क अधिकारी के जवाब से साफ समझा जा सकता है कि इवेंट के लिए भी एसईसीएल ने पसंदीदा पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को ही आमंत्रित किया। एसईसीएल में ऐसा क्या इवेंट था जिसे कुछ चुनिंदा पत्रकारों को ही बताने की जरुरत आला अफसरों ने समझी।

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