बिलासपुर। आज की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली जहां दवाओं और सर्जरी पर निर्भर है, वहीं ‘आरोग्य कलश’ संस्था ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने का दावा किया है। संस्था के ‘कबीर शोध संस्थान’ द्वारा विकसित MHRS (Mid Head Root Solutions) तकनीक के माध्यम से मानसिक रोग, हृदय रोग, लकवा, गठिया, मधुमेह (शुगर), माइग्रेन, थायराइड, गर्दन व कमर दर्द जैसी असाध्य बीमारियों का उपचार बिना दवा और सर्जरी के संभव बताया जा रहा है।
बिलासपुर के प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, आरोग्य कलश के संस्थापक ज्ञानी दास मानिकपुरी mhrs प्रवर्तक जनक ने इस नई पद्धति की विस्तृत जानकारी दी। उनका कहना है कि MHRS तकनीक के जरिए रोगों का निदान बिना दर्द और समाधान बिना किसी साइड इफेक्ट के किया जा सकता है।
त्वरित जांच की विशेषता
संस्थान के अनुसार, मात्र 10 मिनट में पैर की त्वचा की जांच के माध्यम से शरीर में रक्त संचार और बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। इस पद्धति से किए गए निष्कर्षों की पुष्टि आधुनिक तकनीकों जैसे MRI, CT स्कैन और X-ray द्वारा भी की जा सकती है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और बढ़ जाती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार की तैयारी

आरोग्य कलश की इस अनोखी पद्धति का भारत सरकार में कॉपीराइट पंजीकरण एवं पेटेंट भी हो चुका है। शीघ्र ही यह तकनीक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित और विस्तारित की जाएगी। लगभग 150 देशों में इस तकनीक के प्रचार-प्रसार की प्रक्रिया जारी है। संस्था विशेष रूप से टीमवर्क को महत्व देते हुए विश्वभर में अपने सेवा केंद्र स्थापित करने की योजना पर कार्य कर रही है।
नई आशा की किरण

आरोग्य कलश का मानना है कि उनकी अनूठी MHRS तकनीक स्वास्थ्य सेवाओं में एक बड़ा बदलाव लाएगी और लाखों लोग बिना दवाओं और सर्जरी के स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम होंगे। इस पहल ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई आशा का संचार किया है और असाध्य रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई चिकित्सा उच्च गुणवत्ता युक्त हानि रहित आपातकालीन स्थितियों में भी वरदान साबित हो रही है।
 
				प्रधान संपादक





 
								 
															
 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
		 
		
		
		 
		
		
		 
		
		
		 
		
		
		