बिलासपुर छत्तीसगढ़ ।कोटा थाने में दर्ज ई-रिक्शा चोरी के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। चोरी गया ई-रिक्शा मिलने के बाद सामने आए दो दावेदारों के बीच अब हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि आखिर उसने ई-रिक्शा खरीदने के लिए 1.60 लाख रुपए किस आधार पर चुकाए, इसकी रसीद कोर्ट में पेश करें। बिलासपुर के महादेव दुबे ने 20 जनवरी 2025 को कोटा थाना क्षेत्र के गनियारी से अपना ई-रिक्शा चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने महादेव की निशानदेही पर जोगीपुर निवासी धन्नू साहू के पास से वही ई-रिक्शा बरामद किया। लेकिन धन्नू साहू ने पुलिस को बताया कि उसकी पत्नी टेटकी साहू ने 18 सितंबर 2024 को श्री विनायक ई-मोटर्स से बंधन बैंक से लोन लेकर यह ई-रिक्शा खरीदा था।
धन्नू ने खरीदारी के दस्तावेज, डाउन पेमेंट के सबूत और बैंक को दिए ब्लैंक चेक का हवाला भी दिया। साथ ही बताया कि आरसी बुक और बीमा दस्तावेज के लिए उसके बेटे ने एजेंसी से 34 बार संपर्क किया था, लेकिन दस्तावेज नहीं मिले। वहीं दूसरी ओर, महादेव दुबे ने दावा किया कि उसने नवंबर 2024 में ई-रिक्शा खरीदा था और उसके पास वाहन के आरसी और बीमा के दस्तावेज भी हैं।

धन्नू साहू के बयान और दो दावेदार सामने आने के बाद कोटा पुलिस ने विक्रेता एजेंसी के मालिक समेत अन्य को नोटिस जारी कर थाने बुलाया। इस पर एजेंसी मालिक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस पर पक्षपात और उत्पीड़न का आरोप लगाया। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए पुलिस से जवाब तलब किया और पुलिस को निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया। इसके बाद पुलिस ने महादेव दुबे का भी बयान दर्ज किया। बाद में महादेव दुबे ने एक अलग याचिका दायर कर पुलिस पर थाने में मारपीट करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए डीजीपी से व्यक्तिगत रूप से जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि महादेव का बयान सीसीटीवी कैमरों के सामने लिया गया था और थाने से निकलने से पहले उसका मेडिकल परीक्षण भी कराया गया था। बाद में महादेव ने निजी अस्पताल से चोट के दस्तावेज बनवाए और कोर्ट में पेश किए।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता महादेव दुबे को आदेश दिया कि वह बताए कि 1.60 लाख रुपए की रकम उसने किस तरह चुकाई थी। कोर्ट ने उसे इसकी रसीद प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन