बिलासपुर। हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी को बड़ी राहत देते हुए उसके खिलाफ जारी ₹1,15,760 की वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह राशि छह सप्ताह के भीतर लौटाने तथा लंबित ग्रेच्युटी राशि यथाशीघ्र जारी करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता लक्ष्मण दास माणिकपुरी शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आईटीआई कोनी में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे और 29 फरवरी 2020 को सेवानिवृत्त हुए।
याचिकाकर्ता को सेवा काल के दौरान वेतन भुगतान में अधिक राशि दी गई थी, जिसे बाद में विभाग ने 8 दिसंबर 2022 को एक आदेश जारी कर वापस वसूलने का निर्देश दे दिया। इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत की शरण ली। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीजन पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के चर्चित निर्णय स्टेट आफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (2015) 4 एसएससी 334 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद वेतन की वसूली नहीं की जा सकती। यदि कर्मचारी ने किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं की है और वसूली का आदेश सेवा निवृत्ति के वर्षों बाद जारी किया गया हो, तो वह कानूनन अनुचित है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय सुनाया।

जस्टिस बीडी गुरु ने अपने फैसले में कहा है कि याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी कर्मचारी हैं और उनसे की गई वसूली सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के विपरीत है। चूंकि उन्होंने किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं की है। लिहाजा यह वसूली अन्यायपूर्ण के साथ ही कानूनन अवैध है। कोर्ट ने वसूली आदेश को रद्द करते हुए कहा कि वसूल की गई राशि छह सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को लौटाई जाए।याचिकाकर्ता की लंबित ग्रेच्युटी राशि शीघ्र जारी करने का निर्देश दिया है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन