रायपुर छत्तीसगढ़ ।कश्मीर के पहलगाम में में हुए आतंकी हमले को लेकर रायपुर के सड्डू स्थित अविनाश कैपिटल होम्स फेस 2 कॉलोनी में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस हृदयविदारक घटना में आतंकवादियों ने हिंदू पर्यटकों को चुन-चुनकर निशाना बनाते हुए हत्या कर दी थी। इस त्रासदी के विरोध में आयोजित सभा में कॉलोनीवासियों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी और आतंक के विरुद्ध एकजुटता का संदेश दिया।

इस अवसर पर सभा के प्रमुख वक्ता परम धर्म संसद १००८ के संगठन मंत्री और मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश, संत साईं जलकुमार मसन्द ने भावपूर्ण शब्दों में कहा, “भारत की तेजी से बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा और नेतृत्व क्षमता से विचलित कुछ देश षड्यंत्र रच रहे हैं। पहलगाम की घटना भी इसी मानसिकता की उपज है। हमें केवल श्रद्धांजलि तक सीमित न रहकर, इन घटनाओं की जड़ों तक जाकर समाधान के स्थायी उपाय तलाशने चाहिए।”

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन फ्लैट समिति की लोकप्रिय उपाध्यक्ष श्रीमती विद्या घोंगड़े एवं पत्रकार व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रभाकर श्रीवास्तव के संयुक्त संयोजन में किया गया। कार्यक्रम का संचालन पूर्व सैनिक व कुशल वक्ता मिर्जा शफी अहमद ने किया। सैकड़ों की संख्या में कालोनी के हर समाज के पुरुष व महिला निवासियों ने श्रद्धांजलि सभा में शामिल होकर मृतक लोगों की स्मृति में मोमबत्तियां जलाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

साईं मसन्द साहिब ने कहा कि भारत के नागरिकों को अब ऐसी श्रद्धांजलि सभाओं में मृतक लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने मात्र मोमबत्तियां जलाने के कर्तव्य तक सीमित न रहकर भारत के विरुद्ध ऐसे षड्यंत्रों की तह में जाकर उसके निराकरण के स्थायी उपायों पर चर्चा भी करना चाहिए।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि युगों से धन-धान्य से परिपूर्ण सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत सारे संसार का कल्याण करने में समर्थ अपने सनातन ज्ञान के आधार पर विश्वगुरु की भूमिका निभाने के बावजूद आजादी से पहले और आजादी के बाद भी दुनिया के अनेक स्वार्थी देशों की लूट और षड्यंत्रों का शिकार बनता रहा है। इस तारतम्य में उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के नागरिकों को यह बात कभी नहीं भूलाना चाहिए कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, महर्षि अरविन्द आदि देश की आजादी के पुरोधाओं द्वारा स्पष्ट किया गया था कि हम भारत को इस लिए आज़ाद कराना चाहते हैं कि हमारा भारत विश्व का कल्याण कर सकने वाली विश्वगुरु की अपनी पूर्ववर्ती भूमिका पुनः निभा सके, जिसे हम एक परतंत्र देश के रूप में नहीं निभा सकते।

उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों से भारत के पूज्यपाद चारों शंकराचार्यों के नेतृत्व व मार्गदर्शन में दुनिया के १०८ देशों में कार्यरत उनका अंतर्राष्ट्रीय संगठन परम धर्म संसद १००८ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेहद भ्रष्ट हो चुके भारत के पुनरोद्धार हेतु परम धर्म संसद १००८ का यह रचनात्मक प्रयास एक सर्वश्रेष्ठ उपाय है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन