नारायणपुर। जिले के भैरमदेव एरिया कमेटी, MMC ZONE के अंतर्गत सक्रिय 5-5 लाख के इनामी दो माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। सुरक्षा बलों द्वारा अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाकों में लगातार स्थापित किए जा रहे कैंप, विकास कार्यों की बढ़ती रफ्तार और प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगों में जगाए गए विश्वास के चलते माओवादी हथियार छोड़कर सामान्य जीवन अपनाने को मजबूर हो रहे हैं।

आत्मसमर्पण करने वालों में एक पुरुष और एक महिला माओवादी शामिल हैं, जो लंबे समय से MMC ZONE में सक्रिय थे। आत्मसमर्पित माओवादियों को छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण नीति के तहत 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया और पुनर्वास नीति के तहत सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ आत्मसमर्पण

माओवादी दंपति सुदेन कोर्राम उर्फ जनकू कोर्राम और सरिता पोटावी उर्फ करिश्मा ने हरिंदर पाल सिंह सोही (उप महानिरीक्षक, बीएसएफ), नवल सिंह (कमांडेंट, बीएसएफ 135वीं वाहिनी), प्रभात कुमार (पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर), जयदीप अग्रवाल (उप कमांडेंट, बीएसएफ), सनी आलोक टीगा (द्वितीय कमान अधिकारी, 135वीं वाहिनी), और अमृता पैकरा (उप पुलिस अधीक्षक, डीआरजी नारायणपुर) के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
विकास कार्य और सुरक्षा बलों की कार्रवाई बनी वजह
माओवादियों के आत्मसमर्पण के पीछे माड़ बचाओ अभियान और नारायणपुर जिले में चल रहे विकास कार्य अहम कारण रहे। तेजी से बन रही सड़कें, गांवों तक पहुंचती सुविधाएं और पुलिस की लगातार बढ़ती पकड़ ने माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा, संगठन के भीतर बढ़ते मतभेद, शोषण और बाहरी नक्सलियों द्वारा आदिवासियों के साथ भेदभाव जैसी समस्याओं से परेशान होकर भी माओवादियों ने आत्मसमर्पण का रास्ता चुना। सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और लगातार कैंप स्थापित करने से माओवादियों में भय बढ़ा, जिससे संगठन छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
माओवादियों के लगातार हो रहे आत्मसमर्पण से नक्सल संगठन को बड़ा झटका लगा है। सुरक्षा बलों और प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का प्रभाव साफ नजर आ रहा है, जिससे क्षेत्र में शांति और विकास की नई राहें खुल रही हैं।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief