रायपुर। राजधानी रायपुर में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करने वाली एक घटना सामने आई है। ‘जनता से रिश्ता’ समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार शांतनु राय के साथ आजाद चौक नगर पुलिस अधीक्षक आईपीएस अमन झा द्वारा कथित रूप से बदसलूकी और अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने का मामला गरमाता जा रहा है। आरोप है कि पुलिस अधिकारी ने पत्रकार को पूरी रात थाने में बैठने के लिए मजबूर कर दिया।
घटना का पूरा विवरण
सूत्रों के अनुसार, देर रात पुलिस द्वारा चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था, जब पत्रकार शांतनु राय जयस्तंभ चौक से अपने घर की ओर जा रहे थे। इस दौरान एक पुलिस आरक्षक ने अचानक उनकी गाड़ी के सामने आकर रोकने की कोशिश की, जिससे संतुलन बिगड़ने के कारण पत्रकार ने हड़बड़ाकर ब्रेक लगाया। इसके बाद पुलिसकर्मी ने जबरन उनके मुंह में शराब जांचने वाली मशीन डालने की कोशिश की और फूंक मारने का निर्देश दिया।
पुलिस अधिकारी का कथित तानाशाही रवैया

जब शांतनु राय ने अपनी पहचान एक पत्रकार के रूप में दी, तो आईपीएस अमन झा ने कथित रूप से अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा, “मुझे तुम चुतिया समझते हो? पुलिस वाले को गाड़ी से ठोकोगे और हम देखते रहेंगे?” इसके बाद उन्होंने आदेश दिया कि पत्रकार को गोल बाजार थाने ले जाया जाए और रातभर हिरासत में रखा जाए।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब शराब की जांच की गई तो रिपोर्ट शून्य आई, यानी पत्रकार ने शराब का सेवन नहीं किया था। इसके बावजूद अधिकारी ने अपनी तानाशाही दिखाते हुए उन्हें पूरी रात थाने में बैठाने का आदेश दिया।
गोल बाजार थाने में अमानवीय व्यवहार
गोल बाजार थाने में भी पत्रकार के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। उन्हें अपमानित करते हुए पुलिसकर्मियों ने जूते और बेल्ट उतारने को कहा और जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया। यह घटना मीडिया जगत में आक्रोश का कारण बन गई है, जिसे पत्रकारों की स्वतंत्रता पर हमला बताया जा रहा है।

इस घटना ने साबित कर दिया कि पुलिस प्रशासन किस तरह कानून की धज्जियां उड़ा रहा है। बिना किसी अपराध के एक वरिष्ठ पत्रकार को रातभर थाने में बैठाना प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला माना जा रहा है।
मीडिया जगत में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद रायपुर समेत पूरे प्रदेश में मीडिया संगठनों में भारी रोष है। पत्रकार संगठनों ने आईपीएस अमन झा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मीडिया समुदाय का कहना है कि अगर पुलिस ही कानून का मजाक उड़ाएगी, तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की सुरक्षा कैसे होगी?
सरकार से न्याय की अपील
पत्रकारों ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यह घटना सिर्फ एक पत्रकार के सम्मान पर हमला नहीं बल्कि पूरे मीडिया जगत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यदि ऐसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो स्वतंत्र पत्रकारिता खतरे में पड़ सकती है।
सरकार और प्रशासन को इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में पत्रकारों के साथ ऐसा अन्याय न हो।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief