रायपुर।छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (सीसीसीआई) के आगामी चुनावों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन (सीएसए) ने चुनावी प्रक्रिया को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे भेदभावपूर्ण करार दिया है। एसोसिएशन का कहना है कि चैंबर के नियम केवल रायपुर आधारित व्यापारियों को चुनाव में भाग लेने की अनुमति देते हैं, जिससे अन्य जिलों के व्यापारियों को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया है।
व्यापारियों में भारी आक्रोश
इस फैसले के खिलाफ सराफा एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल सोनी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“यह नियम न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि राज्य के व्यापारिक समुदाय के अधिकारों का भी हनन करता है। छत्तीसगढ़ के सभी व्यापारी चैंबर का हिस्सा हैं, तो फिर केवल रायपुर के व्यापारियों को ही चुनाव लड़ने का अधिकार क्यों दिया जा रहा है?”
एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर चुनाव अधिकारी और सहायक चुनाव अधिकारी को लिखित शिकायत भेजी है, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
संविधान की विसंगतियों पर सवाल
सराफा एसोसिएशन ने चैंबर के संविधान की समीक्षा के बाद गंभीर विसंगतियों को उजागर किया है।
• अनुच्छेद 9(1) के अनुसार, हर सदस्य को मतदान करने और किसी भी पद पर चुनाव लड़ने का समान अधिकार है।
• अनुच्छेद 15(क) में कहा गया है कि केवल रायपुर जिले के सदस्य ही अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पदों पर चुनाव लड़ सकते हैं।
इस विरोधाभास पर सवाल उठाते हुए कमल सोनी ने कहा,

“जब हर सदस्य को समान अधिकार दिए गए हैं, तो फिर रायपुर के व्यापारियों को विशेषाधिकार क्यों?”
व्यापारी संगठनों ने की सुधार की मांग
यह मामला सामने आने के बाद अन्य जिलों के व्यापारिक संगठनों में भी नाराजगी बढ़ गई है। व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि यह चुनावी प्रक्रिया कुछ विशेष व्यापारिक समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है।
कमल सोनी ने चेतावनी देते हुए कहा,

“अगर चैंबर ने चुनावी नियमों में तत्काल बदलाव नहीं किया, तो व्यापारी समुदाय बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहेगा। जरूरत पड़ी तो हम इस मामले को उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे।”
व्यापारिक राजनीति में भूचाल
इस विवाद ने छत्तीसगढ़ के व्यापारी संगठनों को दो ध्रुवों में बांट दिया है। जहां रायपुर के व्यापारी इस नियम को सही ठहरा रहे हैं, वहीं अन्य जिलों के व्यापारी इसे अन्यायपूर्ण और लोकतंत्र विरोधी बता रहे हैं।
अब सभी की निगाहें चैंबर ऑफ कॉमर्स के अगले कदम पर टिकी हुई हैं। यदि जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो यह चुनाव राज्य के व्यापारिक इतिहास का सबसे बड़ा विवाद बन सकता है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief