Explore

Search

February 13, 2025 1:49 am

IAS Coaching
लेटेस्ट न्यूज़

हाई कोर्ट ने कहा: दुर्घटना में दो वाहन होने पर दावा खारिज करना गलत

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में दो वाहन शामिल होने और एक वाहन के नहीं मिलने पर दावा आवेदन खारिज करने के आदेश को पलट दिया है।

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मोटर दुर्घटना में दो वाहन शामिल होने और एक वाहन के नहीं मिलने पर दावा आवेदन खारिज करने के आदेश को पलट दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि दुर्घटना में शामिल दो वाहनों में से किसी भी वाहन पर मुआवजा दावा किया जा सकता है। यह मामला अभनपुर (जिला रायपुर) के ग्राम गोतियारडीह निवासी त्रिभुवन निराला का है। उनके 24 वर्षीय पुत्र रजत कुमार की 21 अप्रैल 2013 को एक अज्ञात वाहन की टक्कर के बाद मोटरसाइकिल फिसलने से गंभीर चोटों के कारण मृत्यु हो गई थी।

0 क्या है मामला-
रजत कुमार अपनी मोटरसाइकिल (क्रमांक सीजी-04-केपी-3270) पर बिशोसर धृतलहरे के साथ अभनपुर जा रहे थे। रास्ते में एक अज्ञात वाहन ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी, जिससे रजत घायल हो गए और 22 अप्रैल 2013 को उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया, लेकिन वाहन का पता नहीं चलने पर केस बंद कर दिया गया।
त्रिभुवन निराला और उनके स्वजन ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में मोटरसाइकिल चालक और मालिक (बिशोसर धृतलहरे और जगत राम) तथा बीमा कंपनी के खिलाफ मुआवजे का दावा पेश किया। लेकिन अधिकरण ने अज्ञात वाहन को पक्षकार न बनाने के आधार पर दावा खारिज कर दिया। त्रिभुवन निराला ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने दुर्घटना दावा अधिकरण के आदेश को निरस्त करते हुए अपील आंशिक रूप से स्वीकार की। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना में दो वाहन शामिल थे और इसमें मृतक, जो मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर बैठा था, तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) के दायरे में आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा आवेदन को दूसरे वाहन को पक्षकार न बनाने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।
0 मुआवजे का भी आदेश
कोर्ट ने मृतक की आय का साक्ष्य न होने पर राष्ट्रीय मजदूरी ₹5,000 मासिक मानते हुए बीमा कंपनी को 90 दिनों के भीतर 6% वार्षिक ब्याज सहित ₹8.26 लाख मुआवजा जमा करने का आदेश दिया। बीमा कंपनी ने तर्क दिया था कि, दुर्घटना के समय मोटरसाइकिल चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, जो बीमा शर्तों का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मृतक एक तीसरा पक्ष था और दावेदार उसकी आय पर निर्भर थे। बीमा कंपनी पहले मुआवजा राशि जमा करेगी और बाद में मोटरसाइकिल चालक व मालिक से वसूली कर सकती है।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

Read More