बिलासपुर- दक्षिण भारत में रामलीला एवं रावण दहन प्रायः नहीं होता,लेकिन अज्ञेय नगर बिलासपुर में जन्मी एवं पली बढ़ी आकृति(आहा)
जो बचपन से ही अपने धाराप्रवाह संबोधनों से मंत्र मुग्ध करती रही,अनेक धर्माचार्यों,राजनेताओं सहित सामाजिक मंचों पर अपनी वक्तृत्व क्षमता की छाप छोड़ी,आज वही आकृति बेंगलुरु में पिछले तीन वर्षों से भव्य एवं आकर्षक रामलीला का प्रदर्शन करा रही है।
बेंगलुरु में रामलीला एवं रावण दहन कराना कोई आसान कार्य नहीं है 16 शासकीय विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद कार्यक्रम कराने की अनुमति मिलती है।
बेंगलुरु जैसे महानगर में 16 शासकीय विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना ,रामलीला के योग्य पात्रों का चयन करना, महिनों रिहर्सल कराना,सभी प्रकार के साधन जुटाना इन सबसे अलग रावण का पुतला तैयार कराना बड़ा कठिन कार्य है क्योंकि दक्षिण के राज्यों में हमारे यहां जैसे पुतले तैयार करने वाले लोग नहीं मिलते।
लेकिन दृढ़ संकल्प इच्छा शक्ति हो तो सभी बाधाएं दूर करते हुए सफलता अर्जित की जा सकती है।
अज्ञेय नगर निवासी महेन्द्र जैन की ज्येष्ठ पुत्री एवं सरस्वती शिशु मंदिर तिलक नगर की छात्रा आकृति जैन पिछले तीन वर्षों से लगातार वह मुश्किल कार्य बड़ी कुशलता से कर रहीं है वह भी मल्टी नेशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्य करते हुए, अपने परिवार एवं दो छोटे बच्चों के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए।
पिछले वर्ष बेंगलुरु सेंट्रल के सांसद पी. सी. मोहन, विधायक अरविंद लिंबावली एवं इसरो के वैज्ञानिक सहित सैकड़ों लोग रामलीला देखने एवं रावण दहन के कार्यक्रम में शामिल हुए।
रामलीला का प्रदर्शन उसी प्रकार भव्य एवं आकर्षक होता है लगता है जैसे रामानंद सागर निर्देशित रामायण हो रही हो।
रामायण के कलाकार लगभग सभी आई टी प्रोफेशनल या उनके परिवार जन ही होते हैं।
इस वर्ष कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद पी. सी. मोहन विशिष्ठ अतिथि श्रीमती मंजुला लिंबावली, विधायक महादेवपुरा एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बेंगलुरु के महानगर कार्यवाह डॉ करुणाकर राय होंगे।
*जहां एक ओर आज वर्तमान पीढ़ी अपनी व्यस्तता के कारण धर्म एवं संस्कृति से विमुख होती जा रही है वहीं आकृति जैसी बेटियां धर्म एवं संस्कृति की अलख जगाने अपने नगर एवं प्रदेश से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहकर अनेक बाधाओं की परवाह न करते हुए अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर बढ़ रहे हैं*,आकृति के पिता महेन्द्र जैन बिलासपुर में वन्दे मातरम् मित्र मंडल द्वारा जातियों धर्मों,संप्रदायों,में बटे हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य कर रहे हैं वहीं बेटी भी रामलीला ,रावण दहन के माध्यम से दक्षिण भारत की जनता में धर्म संस्कृति की अलख जगाने का कार्य कर रही है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दर लाल पटवा के साथ “आकृति”

Author: Ravi Shukla
Editor in chief