Explore

Search

July 1, 2025 9:03 pm

R.O.NO.-13250/14

Advertisement Carousel

हरितालिका तीज: सौभाग्य, समृद्धि और अखंड सुहाग का पावन पर्व : डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी

भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्था के बीच तीज पर्व का एक महत्वपूर्ण स्थान है। तीज न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ पर्व है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, पारिवारिक मूल्यों और स्त्री शक्ति के सम्मान का प्रतीक भी है। विशेषकर *हरितालिका तीज* के इस पवित्र पर्व में, महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं और भगवान शिव-पार्वती की आराधना करती हैं।

WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_4c6b1664
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6350de1c
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6dc79aad
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_fe49f8b4

हरितालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। इस व्रत की महिमा बहुत प्राचीन है और इसे माता पार्वती के कठिन तप से जोड़ा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, हिमालय पुत्री पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया। उन्होंने 107 जन्मों तक कठोर तपस्या की और अंततः 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.15_d51e7ba3
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.14_1c66f21d
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.14_eaaeacde

यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। पार्वती जी के आशीर्वाद से माना जाता है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को उनके जीवन में सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

हरितालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन होता है क्योंकि इसमें महिलाएं निर्जला रहती हैं, अर्थात दिनभर जल का सेवन भी नहीं करतीं। इस दिन पूजा का विशेष महत्व है। महिलाएं सुंदर वस्त्र धारण करती हैं, हाथों में मेंहदी लगाती हैं, नई चूड़ियां पहनती हैं और पैरों में आलता लगाती हैं, जो सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक है।

व्रत के दौरान महिलाएं शिव और पार्वती की प्रतिमा या बालू (रेत) से बने शिवलिंग की पूजा करती हैं। पूजा विधि में 16 प्रकार की पत्तियां चढ़ाई जाती हैं, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं। महिलाएं सखियों के साथ मिलकर भक्ति गीत गाती हैं और रात्रि जागरण करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
हरितालिका तीज पर्व का एक महत्वपूर्ण पहलू प्रकृति से इसका जुड़ाव है। इस दिन को हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह पर्व वर्षा ऋतु के बाद आता है। इस समय प्रकृति अपने सबसे हरे-भरे और सुंदर रूप में होती है। महिलाएं प्रकृति की समृद्धि और सुंदरता का आनंद लेते हुए झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और सामूहिक रूप से इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं।

सावन के महीने की ताजगी और हरियाली से यह पर्व महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा और आशा का संचार करता है। 16 प्रकार की पत्तियों का प्रयोग पूजा में इसलिए किया जाता है क्योंकि यह प्रकृति के संरक्षण और उससे मिलने वाले अनमोल संसाधनों का आभार प्रकट करने का प्रतीक है।

हरितालिका तीज न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह स्त्री शक्ति, धैर्य और प्रेम का भी प्रतीक है। पार्वती जी के कठोर तप ने यह सिद्ध किया कि स्त्री अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है। आज के समय में भी यह पर्व महिलाओं के भीतर निहित शक्ति, आत्म-सम्मान और उनके जीवन में परिवार के प्रति उनकी भूमिका का प्रतीक है।
इस पर्व का संदेश है कि परिवार में महिलाओं का योगदान न केवल घर के कार्यों में है, बल्कि वे परिवार के सौभाग्य और समृद्धि का भी आधार होती हैं। उनकी आस्था, त्याग और प्रेम के बिना परिवार का संतुलन संभव नहीं है।
तीज पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह महिलाओं को एक साथ लाता है, जिससे वे आपसी स्नेह और संबंधों को प्रगाढ़ करती हैं। यह पर्व स्त्री समुदाय में एकजुटता और सहभागिता को बढ़ावा देता है। महिलाएं अपने पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर एक दूसरे के साथ तीज की खुशियां बांटती हैं, और इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संवर्धन होता है।
हरितालिका तीज व्रत पर डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी सभी माताओं और बहनों को शुभकामनाएं देते हुए कहती हैं कि यह पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और अखंड सुहाग का प्रतीक बने। हरितालिका तीज का व्रत न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह महिलाओं के भीतर आत्मशक्ति और विश्वास को भी जगाने वाला पर्व है।

आइए, हम सब इस पर्व को आस्था, प्रेम और समर्पण के साथ मनाएं और मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भरपूर करें।
*डॉ. कुमुदिनी द्विवेदी*
चांपा जांजगीर-चांपा,छग
रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS