बिलासपुर। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति आज से एयरपोर्ट में सेवा की भूमि के हस्तांतरण के लिए होने वाले सीमांकन पर नजर रखेगी।
गौरतलब है कि एयरपोर्ट के लिए सेवा से 287 एकड़ जमीन की वापसी की सभी सहमति बहुत पहले प्राप्त कर ली गई है । राज्य सरकार के द्वारा 90 करोड रुपए की धनराशि करीब 1 साल पहले ही रक्षा मंत्रालय को इस एवज में दे दी गई है परंतु भूमि का सीमांकर न होने के कारण यह जमीन अभी तक एयरपोर्ट प्रबंधन को नहीं मिली। कायदे से तो पूरी 1012 एकड़ जमीन जो सेवा के कब्जे में है और जिसका कोई उपयोग न होना सी और रक्षा मंत्रालय स्वीकार कर चुकी है ।पुरी की पूरी एयरपोर्ट के लिए दी जानी चाहिए जिससे कि न केवल बिलासपुर एयरपोर्ट का 4c में अपग्रेडेशन हो सके और यहां गोइंग और एयरबस जैसे बड़े विमान उतर सके बल्कि बची हुई जमीन पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस हब जिसकी की बहुत डिमांड आजकल पूरी दुनिया में है और जिसकी स्थापना के लिए करीब 500 700 एकड़ जमीन एयरपोर्ट से जुड़ी हुई चाहिए उसके लिए की जा सकती है। गौरतलब है कि 287 एकड़ जमीन एयरपोर्ट के 4c विस्तार में देने के बावजूद सेवा के पास 725 एकड़ जमीन बची रहेगी जिसका उपयोग इस कार्य के लिए किया जा सकता है
जहां तक सीमांकन की बात है 4 अप्रैल को सीमांकन प्रारंभ किया गया था परंतु चुनाव कार्य होने के कारण पूरा नहीं हो सका। बिलासपुर में चुनाव समाप्त हो जाने के बावजूद जब यह सीमांकन लगातार नहीं हुआ तब हाई कोर्ट ने इस संबंध में कड़े निर्देश दिए थे और 29 जुलाई से यह सीमांकन प्रारंभ होकर दो सप्ताह में पूरा करना है इसलिए भी इस कार्य पर पूरी नजर रखी जानी आवश्यक है।
जैसे ही सीमांकर पूरा होगा यह जमीन रनवे बढ़ाने के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन को मिल जाएगी हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने मांग की के सबसे पहले बिलासपुर एयरपोर्ट पर रनवे को विस्तार कर इस लायक बनाने की जरूरत है कि यहां बोइंग और एयरबस जैसे विमान उतर सके इसके लिए 15 मीटर से बढ़कर 2200 मी का रनवे करना जरूरी होगा साथ ही रनवे की वर्तमान चौड़ाई 30 मीटर से बढ़कर 45 मी किया जाना आवश्यक है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief