दो महीनों में 72 हजार से अधिक पर्यटकों ने किया अवलोकन,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रजत जयंती वर्ष पर 01 नवंबर को जनजातीय संग्रहालय को जनता को किया था समर्पित
रायपुर।नवा रायपुर स्थित आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में निर्मित शहीद वीर नारायण सिंह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय अपने उद्देश्यों को सार्थक करता नजर आ रहा है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष, बलिदान और योगदान को दर्शाने वाला यह संग्रहालय देश-विदेश के पर्यटकों के साथ-साथ विद्यार्थियों, शोधार्थियों और आम लोगों के लिए ज्ञान व प्रेरणा का केंद्र बन गया है।
उद्घाटन के लगभग दो महीनों के भीतर ही 72 हजार से अधिक दर्शक संग्रहालय का भ्रमण कर चुके हैं। स्कूलों और महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के साथ ही बड़ी संख्या में आमजन यहां पहुंच रहे हैं।

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 01 नवंबर को इस संग्रहालय को जनता को समर्पित किया था। आदिम जाति विकास विभाग के मार्गदर्शन में निर्मित यह संग्रहालय जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि संग्रहालय में जनजातीय वर्गों की गौरवशाली परंपरा, शौर्य और बलिदान को प्रदर्शित किया गया है। दर्शकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे संग्रहालय स्थापना का उद्देश्य पूर्ण होता दिख रहा है। आगंतुकों की सुविधा के लिए गाइड, डिजिटल सूचना प्रणाली, क्यूआर कोड, ऑडियो-वीडियो माध्यम तथा माइक्रोफोन आधारित जानकारी की व्यवस्था की गई है। दिव्यांगों, महिलाओं और शिशुवती माताओं के लिए भी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. अनिल वीरूलकर ने बताया कि प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। हाल ही में नीदरलैंड से आए पर्यटकों के दल ने डिजिटल प्रस्तुति की सराहना की। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित डीजीपी कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने भी संग्रहालय का भ्रमण किया।

संग्रहालय परिसर में शुद्ध पेयजल, पार्किंग, शौचालय, सूचना केंद्र और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से पूरा परिसर सीसीटीवी कैमरों से लैस है।
पर्यटकों ने संग्रहालय की जीवंत झांकियों, डिजिटल प्रस्तुति और ऐतिहासिक विवरणों की सराहना की है। उनका कहना है कि यह संग्रहालय न केवल मनोरंजक है, बल्कि नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम और जनजातीय नायकों के संघर्ष से जोड़ने का प्रभावी माध्यम भी है।

संग्रहालय परिसर में स्थापित ‘कोयतूर बाजार’ भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जहां स्व-सहायता समूहों से जुड़ी जनजातीय महिलाएं हस्तशिल्प, पारंपरिक वस्त्र और आभूषणों का विक्रय कर रही हैं।
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