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December 5, 2025 10:41 am

कानाफूसी

शपथ ग्रहण और पावर पालिटिक्स

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठन सृजन हो गया है। शहर व ग्रामीण नए अध्यक्षों की ताजपोशी  हो गई है। नए अध्यक्षों का शपथ ग्रहण समारोह है। अब ये तो आप भी अच्छी तरह समझ रहे होंगे,  इनके ऊपर ठप्पा किसी नेता का लगा हो, जैसा कि सभी  पाॅलिटिकल पार्टी में होता है, हम सब एक हैं का नारा गूंजेगा। कांग्रेस भवन में सभी गुट  के नेता नजर आएंगे। हो भी  सकता है, ऐसा नजारा देखने को ना भी मिले। तब और अबके कांग्रेस में अंतर भी तो आ गया है। जिस गुट से ताल्लुक रख रहे हैं उनके नेता तो आएंगे ही आएंगे। चीफ गेस्ट भी हो सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह के बहाने पावर पालिटिक्स भी होगा। शहर और जिले भर से कार्यकर्ता जुटेंगे। मैनेजमेंट भी उसी अंदाज  में होगा। हो भी रहा होगा तो वह  सब भीतर ही भीतर। खासम खास ही तो यह व्यवस्था संभाल रहे होंगे। आगे भी पर्दे के पीछे ये ही काम करते रहेंगे। ये  भी तो चर्चा है, पहले जिनके खास हुआ करते थे, वे सब कांग्रेस भवन में दिखाई देंगे या नहीं। भैया लोगों के इर्द-गिर्द रहकर राजनीति सीखने वाले अब संगठन के नेता बन गए हैं। भैया लोग किस नजरिए से देखेंगे और उनकी  तरफ से  कितना भाव मिलेगा। अब यह सब देखने वाली बात है। चलिए आप भी देखते जाइए और ह तो देखेंगे ही। अलगे एपीसोड के लिए, क्या कुछ मिलता है और क्या दिखता है। हमारी नजर तो इस पर रहेगी ही रहेगी।

घेराव, घेराव और घेराव, प्रशासन का क्या हुआ

अपोजिशन पालिटिक्स की बात जब हो ही रही है तो कलेक्टोरेट घेराव की चर्चा भी जरुरी हो ही जाता है। पब्लिक से  जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस के बैनर तले कलेक्टोरेट का घेराव हुआ और उसके बाद क्या हुआ। इतनी ही  तेजी के साथ युवा मोर्चा का रिएक्शन भी सामने आया। युवा मोर्चा ने सिविल लाइन थाने का घेराव कर दिया। सत्ता से जुड़े फ्रंटल आर्गेनाइजेशन का घेराव हो और पुलिस इंटरटेन ना करे, यह हो सकता है। जी हां पुलिस ने भरपूर इंटरटेन किया। मोर्चा ने जो लिखकर सो पुलिस ने कर दिया। मतलब जिला व शहर कांग्रेस कमेटी के आंदोलनकारी जिलाध्यक्षों के खिलाफ एफआईआर।फिर क्या हुआ, एक बार फिर सिविल लाइन थाने का घेराव हो गया। इस बार मोर्चा ने नहीं कांग्रेसजनों ने कर दिया।मोर्चा के रिएक्शन पॉलिटिक्स ने कांग्रेसजनों को सियासत करने का एक बड़ा मौका दे दिया। मौका मिला तो चौके और छक्के दोनों लगे। एक्स जिलाध्यक्षों ने बता दिया कि  विरोध कैसे किया जाता है और भीड़ किस अंदाज  से  जुटाई जाती है। एक्स अध्यक्षों का यह बिग शो था। मोर्चा के लिए चुनौती तो था सबसे बड़ी चुनौती तो नए अध्यक्षों के लिए है। एक्स जिलाध्यक्षों ने धरना  प्रदर्शन आंदोलन का जो टेंपो बनाया है और भीड़ मैनेजमेंट का स्कील दिखाया है, उसे कैसे पार पाएंगे।   

डीजी कांफ्रेंस, करा रहा प्राऊड फील

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तीन दिनों तक देशभर के पुलिस के आला अफसरों का जमावड़ा रहा। देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा पर मंथन हुआ। प्रभावी रोड मैप भी बनाए गए। प्रधानमंत्री,गृह मंत्री और एनएस की मौजूदगी में सुरक्षा पर गहन मंथन किया गया। छत्तीसगढ़ के लिए यह तो गौरव की बात है। तीन करोड़ छत्तीसगढ़ियों के लिए यह प्राऊड फील करने वाली बात है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब डीजी कांफ्रेंस में देशभर के पुलिस विभाग से जुड़े आला अधिकारी पहुंचे। कॉन्फ्रेंस हो भी गया और अफसर अपने-अपने राज्य चले भी गए। यह तो केंद्र सरकार की हर  साल की रुटीन मीटिंग है। यह मत भूलिए जब-जब देश के अन्य राज्यों में यह कांफ्रेंस होगा, छत्तीसगढ़ की चर्चा जरुरी होगी। यहां जो रोडमैप बना, दीर्घकालिक योजना के अनुसार बनाया गया है। जाहिर सी बात है,बार-बार और हर बार छत्तीसगढ़ की चर्चा होगी और जिक्र होगा। यह तो वाकई गौरव की  बात है और गौरान्वित करने वाली बात है।

एसएसपी के दो वीडियो जो बनी टाकिंग पाइंट

हाल के दिनों में बिलासपुर जिले के एसएसपी रजनेश सिंह द्वारा जारी दो वीडियो ने सोशल मीडिया में जमकर सुर्खियां बटोरी है। ड्रिंक एंड ड्राइव को लेकर एसएसपी  का शार्ट वीडियो कुछ ज्यादा ही चर्चा में आया। एसएसपी ने युवाओं से अपील करते हुए सचेत भी किया है। नशे  की हालत में वाहन ना चलाने की हिदायत तो दी साथ ही दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनकर ही वाहन चलाने की अपील की। दूसरी वीडियो लफंगेबाजों के नाम रहा। चारपहिया वाहन की छत पर बैठकर रील बनाना और स्टंटबाजी को लेकर रहा। इस वीडियो की बात ही अलग नजर आई। एसएसपी  का दोनों वीडियो सोशल मीडिया में इन  दिनों वाहवाही तो बटोर ही रहा है,चर्चा भी खूब हो रही है।

अटकलबाजी

एसीबी और ईओडब्ल्यू के छापेमारी के दौर में कौन-कौन व्यवसायी व अफसर हैं जिनको दिन में चैन नहीं आ रहा और रात में नींद नहीं आ रही है। 

कांग्रेस के संगठन सृजन के बाद कौन-कौन नेता हैं जो इन दिनों हताश और निराश हैं। कारण बता करिए, कहीं सृजन के दौर में दावेदार तो नहीं थे।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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