वर्धा महाराष्ट्र ।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्त्वज्ञान अध्ययन केंद्र, रिद्धपुर में महानुभावीय सांकेतिक सकल लिपि विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ आज हुआ। उदघाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने की।
कुलपति प्रो. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भाषा हमारी अर्जित संपदा होती है इसलिए मन के निकट होती है और स्वाभिमान बन जाती है। रिद्धपुर की भूमि पर श्रीचक्रधर स्वामी और महानुभाव पंथ के कार्य को देखकर यह स्पष्ट है कि पंथ ने मराठी भाषा और संस्कृति के संरक्षण का बड़ा संकल्प लिया है।उन्होंने कहा कि श्रीचक्रधर स्वामी ने ज्ञान-संपदा के संरक्षण का जो बीड़ा उठाया, वह समाज के लिए अमूल्य है।
उदघाटन समारोह में मराठी भाषा विश्वविद्यालय रिद्धपुर के कुलपति प्रो. अविनाश आवलगावकर मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे। उन्होंने सकल लिपि का अर्थ स्पष्ट करते हुए महानुभाव तत्त्वज्ञान के विकास पर प्रकाश डाला।विशिष्ट अतिथि के रूप मे कविश्वर कुलाचार्य प.पू.प.म. श्री कारंजेकर बाबा ने आठ सौ वर्ष पूर्व निर्मित सकल लिपि पर समाज में बढ़ते अध्ययन को संतोष का विषय बताया। उन्होंने कहा कि लोणार सरोवर की उत्पत्ति उल्कापात से हुई थी, जिसका उल्लेख सर्वज्ञ श्रीचक्रधर स्वामी ने सदियों पहले ही किया था।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर विश्वविद्यालय के आवासीय लेखक डॉ. भूषण भावे ने रिद्धपुर जैसी आध्यात्मिक भूमि पर स्वयं की उपस्थिति को सौभाग्य बताया। कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज़ खान ने रिद्धपुर केंद्र की स्थापना से अब तक के विकास का विवरण प्रस्तुत किया। दर्शन एवं संस्कृति विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत उपाध्याय ने महानुभाव संप्रदाय के महत्व पर वक्तव्य रखा।
इस अवसर पर श्री गोपिराज ग्रंथसंग्रहालय, हस्तलिखित साहित्याची ग्रंथसूची लेखक विशाल हिवरखेडकर तथा कर्मयोगी गाडगेबाबा : एक युग प्रवर्तक अनुवादक: डॉ. अनवर अहमद सिद्धिकी पुस्तकों का विमोचन किया गया। साथ ही सकल लिपि आधारित भित्ति पत्रिका का लोकार्पण कुलपति प्रो. शर्मा व कारंजेकर बाबा द्वारा किया गया।
आकाश गजभिये के NET परीक्षा उत्तीर्ण करने पर तथा विशेषज्ञों चक्रधर कोठी एवं विशाल हिवरखेडकर का भी सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का स्वागत एवं प्रास्ताविक रिद्धपुर केंद्र की प्रभारी एवं कार्यशाला संयोजक डॉ. नीता मेश्राम ने किया। संचालन डॉ. स्वप्निल मून व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नितिन रामटेके द्वारा किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों, संत-समाज, शोधार्थियों व स्थानीय श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
कार्यशाला का समापन सत्र 21 नवंबर 2025 को दोपहर 4 बजे होगा, जिसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के पूर्व अध्यक्ष आचार्य प्रवर महंत नागराज बाबा उपाख्य महंत गोपिराज बाबा करेंगे। प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ. नीता मेश्राम तथा शोध अनुषंगी चक्रधर कोठी और विशाल हिवरखेडकर उपस्थित रहेंगे।
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