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October 16, 2025 10:11 pm

पुलिस आवास और मरम्मत पर हाईकोर्ट की सामने आई सख्ती

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग की आवासीय और भवन मरम्मत संबंधी लापरवाही पर गंभीर रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी. गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि पुलिस आवास निर्माण और भवन मरम्मत के लिए भारी भरकम बजट मिलने के बावजूद अब तक वित्त विभाग से धनराशि मांगने की प्रक्रिया क्यों पूरी नहीं की गई। सुनवाई के दौरान वित्त विभाग के सचिव ने अपने हलफनामा में बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए गृह (पुलिस) विभाग को नए भवन निर्माण के लिए 520.79 करोड़ रुपये और मरम्मत व रखरखाव के लिए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, लेकिन पुलिस विभाग की ओर से अब तक कोई औपचारिक मांग प्राप्त नहीं हुई है। इसी कारण राशि जारी नहीं हो पाई।

कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगते हुए स्पष्ट करने को कहा है कि, बजट उपलब्ध होने के बावजूद आवास निर्माण और मरम्मत के लिए वित्त विभाग को मांग क्यों नहीं भेजी गई। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश तत्काल डीजीपी तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया है।

छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के एमडी ने शपथपत्र में कहा कि, 2024-25 तक उन्हें केवल भवन निर्माण का कार्य सौंपा गया था, मरम्मत की जिम्मेदारी नहीं थी। 2025-26 से पहली बार मरम्मत कार्य का आवंटन मिला है। इसके तहत पुराने भवनों की सूची तैयार कर मरम्मत और नए निर्माण के प्रस्ताव बनाए गए हैं। इसमें नए मकानों के लिए 390.52 करोड़, भवन मरम्मत के लिए 16.63 करोड़ और 11.72 करोड़ के अलग-अलग प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को भेजे गए हैं, जिनकी मंजूरी का इंतजार है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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