बिलासपुर। बिजली कंपनी ने 43 वितरण केंद्र के मेंटनेंस के लिए टेंडर निकाला था। इसके लिए प्रति वितरण केंद्र 21 लाख रुपये का बजट भी जारी किया था। (कुल टेंडर के 9 करोड़ 3 लाख )अचरज की बात ये कि बिजली कंपनी द्वारा निकाले गए टेंडर को भरने के लिए और काम लेने के लिए बिजली कंपनी में काम करने वाले ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ठेकेदार काम करना क्यों नहीं चाहते, इसकी वजह जानकारी आप भी चौंक जाएंगे। CBN.36 को जो जानकारी मिली है वह कम चौंकाने वाली नहीं है।
बिजली कंपनी ने 43 डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर वितरण केंद्रों के रखरखाव के लिए 21 लाख रुपये का टेंडर जारी किया था। टेंडर भरकर जमा करने के लिए 28 जुलाई मतलब सोमवार को आखिर दिन तय किया था। अचरज की बात ये कि बिजली कंपनी में काम करने वाले किसी भी ठेकेदार ने टेंडर भरने में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। अंतिम तिथि निकलने के बाद बिजली कंपनी के अफसर इस बात काे लेकर भौचक हैं कि ठेकेदार काम करना क्यों नहीं चाह रहे हैं। आखिर वजह क्या है कि छोटे से लेकर बड़े और मझोले ठेकेदार भी बिजली कंपनी का काम करने से हिचक रहे हैं।
वितरण केंद्रों के मेंटनेंस के बिजली कंपनी द्वारा जारी किए गए टेंडर से पहले भी कंपनी ने छोटे-छोटे काम के लिए अलग-अलग पांच-पांच लाख का टेंडर जारी किया था। छोटे काम करने के लिए भी छोटे ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई।
0 यह है बड़ी वजह, जिसके चलते बिजली कंपनी का नाम हो रहा खराब
अलग-अलग समय पर बिजली कंपनी द्वारा निकाले गए टेंडर को लेकर पहले ठेकेदारों में प्रतिस्पर्धा हुआ करता था। यही वजह है कि आज से चार से पांच साल पहले तक ठेकेदार काम करने उत्सुक नजर आते थे। काम भी खूब किया करते थे। काम करने के बाद जब बिल भुगतान की बारी आती थी तब कंपनी के अधिकारी से लेकर बाबू तक बिल में खामियां निकालना और बिल को वापस लौटाने का खेल जमकर खेला करते थे। बड़े बजट पर काम करने वाले ठेकेदारों को इससे नुकसान होने लगा। समय पर बिल का भुगतान ना होने से दिक्कतें आने लगी। यही कारण है कि बिजली कंपनी के काम के बजाय दूसरे विभाग के कामकाज में अपनी राशि का उपयोग करने लगे और समय भी देने लगे।
0 ठेकेदारों का अटका है भुगतान
ठेकेदारों ने बताया कि बिजली कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी काम कराने के बाद बिल में खामियां निकालने और भुगतान के बजाय अटकाने में ज्यादा भरोसा करते हैं। आलम ये कि ठेकेदारों को चार-चार साल से भुगतान नहीं हुआ है। बिल अब भी कंपनी के दफ्तर में अटका हुआ है।

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