नगर निगम कमिश्नर और पीडब्ल्यूडी के ईई से शपथपत्र के साथ मांगा जवाब
बिलासपुर: शहर की जर्जर सड़कों को लेकर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान अदालत ने नगर निगम आयुक्त और लोक निर्माण विभाग के ईई को निर्देशित किया कि वे शपथपत्र पर यह स्पष्ट करें कि शहर की सड़कें कब तक सुधार दी जाएंगी। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख तय की है। यह मामला उस वक्त गंभीर हुआ जब चीफ जस्टिस ने अपोलो अस्पताल लिंगियाडीह मार्ग पर खुद दौरा किया और वहां की बदहाल स्थिति देखी। सड़क की चौड़ाई कम होने और अतिक्रमण के कारण मरीजों और परिजनों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई शुरू की गई।
कोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने बसंत विहार चौक से अपोलो अस्पताल तक अतिक्रमण हटाते हुए सड़क चौड़ी करने का काम शुरू किया। पूर्व सुनवाई में नगर निगम आयुक्त ने अदालत को सूचित किया था कि अपोलो चौक से मानसी गेस्ट हाउस होते हुए रपटा तक की सड़क चौड़ीकरण के लिए 6 मई 2025 को कार्यादेश जारी किया गया है। अब अदालत ने पूरे शहर की खराब सड़कों की स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए हैं और जिम्मेदार अफसरों से जवाब तलब किया है। अदालत ने टिप्पणी की कि शहर की प्रमुख सड़कें गड्ढों से भरी पड़ी हैं और इसकी मरम्मत को लेकर कोई स्पष्ट समयसीमा सामने नहीं आई है।

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