या ऐसे सरकारी केंद्र सिर्फ अवैध वसूली का केंद्र बन कर रह गए हैं या जन सरोकारों से इनका कोई वास्ता भी है
मनेंद्रगढ़ ।संवाददाता प्रशांत तिवारी ।आखिर हकीकत क्या है एक ओर राज्य और केंद्र में बैठी सरकारें यह दावा तो करती हैं कि किसानों के लिए उनकी योजनाएं उनकी बदहाल स्थिति से निकालकर उन्हें एक आर्थिक सक्षम वर्ग की अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा कर देंगी। लेकिन यह बातें तब बेमानी लगने लगती है जब अच्छी योजनाओं का भी क्रियान्वयन धरातल पर शून्य नजर आने लगता है।
तब यह सवाल मन में जरूर उठता है कि क्या वाकई सरकारें किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए गंभीर प्रयास कर रही है या या उनकी अच्छी योजनाओं पर उनके अधीनस्थ सरकारी कर्मचारी पानी फेर रहे हैं।
सहकारी समिति चैनपुर में समिति प्रबंधक बलराम सिंह द्वारा अवैध वसूली का मामला सामने आया है। पीड़ित रमेश कुमार गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं 10 बोरा डीएपी ,10 बोरा खाद ,10 बोरा यूरिया, दो बोरा पोटाश , दो बोरा राखड़ खरीदने सहकारी समिति चैनपुर आया हुआ था,लेकिन समिति प्रबंधक बलराम सिंह के द्वारा उन सभी सामग्रियों की एवज में अलग से 10000 राशि की मांग की गई। आवेदक ने यह कहा कि जब शासकीय योजनाओं का लाभ सही ढंग से हम किसानों को नहीं मिलेगा तो फिर समिति से खरीदी करने का कोई औचित्य नहीं है। जब कीमत से ज्यादा पैसा देकर ही खाद बीज खरीदना है तो हम बाजार से ही खरीद लेंगे। पीड़ित ने कहा कि मैंने इस प्रकार की अवैध वसूली से तंग आकर अपना किसान क्रेडिट कार्ड निरस्त करने का आवेदन दे दिया है। मामले पर पीड़ित के बयान से यह प्रतीत हो रहा है कि हो सकता है, समिति प्रबंधक के अलावा भी इस अवैध वसूली के पीछे पूरा एक सिंडिकेट हो। क्या ऐसे सरकारी केंद्र सिर्फ अवैध वसूली का केंद्र बन कर रह गए हैं या जन सरोकारों से इनका कोई वास्ता भी है।फिलहाल किसानों की उन्नति के सरकारी दावों के बीच किसान बदहाली के आंसू रो रहा है और दर-दर भटकने को मजबूर है।

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