Explore

Search

July 21, 2025 12:19 am

Advertisement Carousel

शांति और विकास की नई सुबह बस्तर में दे चुकी है दस्तक, नक्सल मुक्त बस्तर का लक्ष्य सरकार का दृढ़ संकल्प

आईजी सुंदरराज पी ने कहा,माओवादी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति अधकचरा, भ्रामक और साजिशपूर्ण


मिशन संकल्प: सुरक्षा बलों की नक्सल मुक्त और हिंसा मुक्त बस्तर के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है


नक्सल मुक्त बस्तर का लक्ष्य सरकार का संकल्प है, जिसे सुरक्षा बल पूरी प्रतिबद्धता के साथ करने के लिए समर्पित


माओवादी संगठन का अंत निकट और निश्चित
अब माओवादी कैडरों के पास एकमात्र सम्मानजनक विकल्प यह है कि वे आत्मसमर्पण करें, हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में लौटें

रायपुर छत्तीसगढ़ ।पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि “संकल्प: नक्सल मुक्त बस्तर मिशन” अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि तेजी से साकार होती हुई हकीकत है। एक समय आतंक और हिंसा का प्रतीक रहा माओवादी आंदोलन अब अपने अंतिम दौर में पहुँच चुका है, जबकि शांति और विकास की नई सुबह बस्तर में दस्तक दे चुकी है।


25 मई 2025 को भाकपा (माओवादी) दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता द्वारा 21 मई 2025 को अबूझमाड़ क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के संबंध में एक प्रेस वक्तव्य जारी किया गया, जिसमें भाकपा (माओवादी) के महासचिव बसवराजू उर्फ बीआर दादा उर्फ गंगन्ना सहित कुल 27 माओवादी कैडरों के मारे जाने की पुष्टि की गई। यह ऐतिहासिक अभियान सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न किया गया था।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने माओवादी संगठन के इस बयान को तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने और जनभावनाओं को भटकाने का निराशाजनक प्रयास बताया। उन्होंने इस प्रेस नोट को अधकचरा, भ्रामक और साजिशपूर्ण बताते हुए कहा कि यह एक नेतृत्वविहीन और बिखरती हुई संगठन की प्रासंगिकता बनाए रखने की अंतिम कोशिश है।


आईजी रेंज आईपीएस सुंदरराज ने स्पष्ट किया कि 21 मई 2025 भारत के वामपंथी उग्रवाद विरोधी इतिहास में एक निर्णायक दिन के रूप में याद किया जाएगा। मारे गए बसवराजु, जो कि माओवादी संगठन के सर्वोच्च नेता थे, की मौत से संगठन को केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी गहरा आघात पहुंचा है। माओवादी आंदोलन के मुख्य गढ़ में 27 सशस्त्र उग्रवादियों का खात्मा सुरक्षा बलों की दृढ़ता और प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

दशकों की हिंसा को महिमामंडित करने वाला झूठा प्रचार

माओवादी बयान में बसवराजू की मौत को “बलिदान” के रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास की कड़ी आलोचना करते हुए पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा कि यह दशकों की हिंसा को महिमामंडित करने वाला झूठा प्रचार है। बसवराजु कोई शहीद नहीं था, बल्कि वह आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था—जिसने हजारों निर्दोष आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों की हत्या करवाई, और सैकड़ों सुरक्षाबलों को आईईडी धमाकों और घात लगाकर किए गए हमलों में मौत के घाट उतारा। ऐसे व्यक्ति को “जननायक” के रूप में चित्रित करना न केवल भ्रामक है, बल्कि उन वीरों और नागरिकों का घोर अपमान है जिन्होंने बस्तर की शांति और समृद्धि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

यह माओवादी कैडरों के गिरते मनोबल का प्रतीक

पुलिस महानिरीक्षक के अनुसार, यह प्रेस वक्तव्य माओवादी कैडरों के गिरते मनोबल को संबल देने की विफल कोशिश है। लगातार चलाए जा रहे खुफिया आधारित अभियानों के कारण संगठन टुकड़ों में बिखर चुका है और अब मूलभूत समन्वय बनाए रखने में भी असमर्थ दिख रहा है।

माओवादियों के पास आखिरी विकल्प यही कि वे करें सरेंडर

एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए आईजीपी सुंदरराज ने कहा कि अब माओवादी कैडरों के पास एकमात्र सम्मानजनक विकल्प यह है कि वे आत्मसमर्पण करें, हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में लौटें। सरकार लगातार पुनर्वास और शांतिपूर्ण जीवन की पेशकश कर रही है। परंतु यदि कुछ तत्व अब भी इस अवसर को नजरअंदाज करते हैं, तो उनका अंत निकट और निश्चित है।

बसवराजू की मौत के साथ ही नक्सलवाद का खात्मा भी अब नजदीक


पुलिस महानिरीक्षक आगे कहा कि भाकपा (माओवादी) संगठन आज पूर्णतः विघटन की कगार पर है, जहाँ न तो कोई सक्षम नेतृत्व बचा है और न ही कोई रणनीतिक दिशा। बसवराजू के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं अब बेमानी हैं। उनकी मौत के साथ ही यह आंदोलन अपनी वैचारिक और संचालन क्षमता भी खो चुका है। यह माना जा सकता है कि बसवराजु ही इस अवैध संगठन का अंतिम महासचिव था।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS