बिलासपुर ।एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबन्ध निदेशक डॉ प्रेम सागर मिश्रा 31 जनवरी को सेवानिवृत होने जा रहे हैं। इस अवसर पर एसईसीएल मुख्यालय में उनके सम्मान में सम्मान समारोह का आयोजन कर उन्हें सम्मानित किया जाएगा।अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए कंपनी ने उनके मार्गनिर्देशन में एसईसीएल ने अनेकों कीर्तिमान बनाए इतिहास में सर्वाधिक कोल उत्पादन डिस्पैच एवंओबीआर सहित अन्य कार्य शामिल हैं ।यही नहीं विश्व की सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा कुसमुंडा में दो हज़ार से अधिक भू स्वामियों रोज़गार देने में उनकी महति भागीदारी रही जिसे भुलाया नहीं जा सकता उनकी सहजता सरलता और संवेदनशीलता के सभी क़ायल थे ।डॉ मिश्रा की सोच और उनकी कार्यशैली के कारण ही सीएसआर, पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न क्षेत्रों में कंपनी ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया ।

डॉ प्रेम सागर मिश्रा फरवरी 2022 में एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक का पदभार ग्रहण किया उसके बाद उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा टीम के साथ मिलकर कंपनी को शीर्ष स्थान पर ले जाने की ज़िम्मेदारी को बखूबी से निभाया और परिणाम सामने आया डॉ मिश्रा ने नेतृत्व में एसईसीएल ने लगातार 2 वर्षों में 25 मिलियन टन के ऊपर 20 मिलियन टन की ग्रोथ हासिल करते हुए अपने इतिहास का सर्वाधिक कोयला उत्पादन, डिस्पैच एवं ओबीआर दर्ज किया।जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है ।
ए उनकी सोच दूरदर्शिता ईमानदारी और टीम वर्क का ही नतीजा हैं जो गेवरा एवं कुसमुंडा खदान ने विश्व की दूसरी एवं चौथी सबसे बड़ी कोयला खदान बन छत्तीसगढ़ को विश्व पटल पर ख्याति दिलाई।

डॉ प्रेम सागर मिश्रा के निर्देशन और टीम वर्क का ही नतीजा है कि कंपनी ने कई वर्षों बाद अंडरग्राउंड उत्पादन में बढ़ोत्तरी हासिल की और अपने इतिहास का सर्वाधिक यूजी उत्पादन दर्ज किया।सीएसआर के तहत कंपनी ने फ्री नीट कोचिंग की पहल एसईसीएल के सुश्रुत एवं जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए एसईसीएल धड़कन योजना की शुरुआत हुई। इसके साथ ही पौधरोपण, उच्च क्षमता की सौर परियोजनाओं के शुरू होने से पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिली।सीएमडी डॉ मिश्रा द्वारा कंपनी में मेंटर-मेंटी स्कीम एवं कई मिशनों की शुरुआत की गई जिससे कंपनी की कार्यसंस्कृति ने नए आयाम छूए।

जाने अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डॉ प्रेम मिश्रा की बायोग्राफी
डा. प्रेम सागर मिश्राजी का जन्म 15 जनवरी 1965 को उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला अंतर्गत देवघाट के एक सुसंस्कृत एवं प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। पिता ने इन्हें वो सारे संस्कार दिये जिनकी परवरिश का नतीजा है की आज वो सभी के दिलो दिमाग़ में एक अलग ही जगह बना हुआ है ।ऐसा बहुत कम होता है ।डॉ मिश्रा के पिता का नाम स्व. रामनाथ मिश्रा है। डॉ मिश्रा चुनौतियों से जूझने एवं अपने प्रदत्त दायित्वों व कर्तव्यों के भलीभांति निर्वहन करने का व्यक्तित्व इन्हें विरासत में मिला ।डॉ मिश्रा ने सुभाष इंटर कॉलेज भटनी देवरिया से हाईस्कूल, गवर्नमेंट इंटर कॉलेज देवरिया से इंटरमिडिएट की प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। इसके बाद इण्डियन स्कूल आफ माईन्स, धनबाद से वर्ष 1987 में बी.टेक (माईनिग) की डिग्री प्राप्त की है।
डॉ मिश्रा की दूरदर्शिता, व्यापक अनुभव, कार्यदक्षता, कार्य-निष्पादन की कुशल कार्य-शैली, प्रबंधकीय क्षमता, कुशाग्रता, चुनौतियों से जूझने का जज्बा, लक्ष्य प्राप्ति की लगन तथा नित्यशील परिश्रम की विलक्षण क्षमता के फलस्वरुप सभी क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निष्पादित किया।

डॉ मिश्रा को कोयला उद्योग में लगभग 37 वर्षों का दीर्घ अनुभव है लेकिन इनकी छवि आधुनिकीकरण, अवसंरचनात्मक विकास तथा तकनीक के पैरोकार के रूप में रही है। 24 अगस्त 1987 को जेट माईनिंग के रूप में कोल इंडिया लिमिटेड में कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत डॉ मिश्रा की पदस्थापना एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत बुढ़ार नंबर-3 माईन में हुई, धनपुरी यूजी, न्यू अमलाई यूजी, राजेन्द्रा यूजी माईन, बंगवार यूजी, चचाई यूजी में कालरी मैनेजर, सेफ्टी आफिसर के पद पर कार्य करतें हुए कंपनी को लाभ दिया आज भी लोग उन्हें उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हैं और याद करते है ऐसा कोई बिरला व्यक्ति ही कर सकता है यहीं नहीं डॉ मिश्रा यहाँ रुके नहीं उनकी लगन और कुछ कर गुजरने का जुनून सोहागपुर क्षेत्र के राजेन्द्रा यूजी माईन में वर्ष 1995 में लांगवाल टेक्नॉलॉजी लगाए जाने के स्पेशल एसाइनमेंट पर राजेन्द्रा यूजी माईन पदस्थापित किया गया। मई 2001 में डॉ मिश्रा की पदस्थापना बिश्रामपुर क्षेत्र में हुई जहॉं जयनगर 3 एवं 4 यूजी, बिश्रामपुर ओसी में कालरी मैनेजर, सुपरिटेण्डेन्ट आफ माईन्स के पद पर कार्य किए, उपरांत वर्ष 2003 में आप डिप्टी चीफ माईनिंग इंजीनियर पद पर पदोन्नत होकर सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड स्थानान्तरित हुए, जहाँ आपने बरका सयाल एरिया अंतर्गत ऊरीमारी ब्लाक, एनके एरिया केडीएच ओपनकास्ट, परेज ईस्ट ओपनकास्ट हजारीबाग एरिया में प्रोजेक्ट आफिसर के पद पर कार्य किया। जून 2008 में बीसीसीएल स्थानांतरित होकर ब्लाक-2 और बरोरा एरिया के एरिया जनरल मैनेजर, प्रोजेक्ट आफिसर रहे। आप वर्ष 2015 में उड़ीसा मिनरल डेव्हलपमेंट कारपोरेशन (ओएमडीसी) के डायरेक्टर प्रोडक्शन एण्ड प्लांनिंग रहे तथा 20 अगस्त 2018 को डॉ मिश्रा ईसीएल के सीएमडी का पदभार ग्रहण किए, इसके बाद 28 जनवरी से 22 को एसईसीएल के सीएमडी का पदभार ग्रहण किया।

कोयला उद्योग में डॉ मिश्रा का कार्यकाल कई अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरा रहा। एसईसीएल के सीएमडी के रूप में प्रेरक नेतृत्व में एसईसीएल ने अपने इतिहास का सर्वाधिक कोयला उत्पादन, डिस्पैच एवं ओबीआर दर्ज किया एवं सभी मानकों पर रिकॉर्ड ग्रोथ दर्ज की साथ ही कोयला मंत्रालय एवं भारत सरकार के विभिन्न अभियानों में एसईसीएल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कई अवार्ड हासिल किए। मिशन मोड की कार्यसंस्कृति के माध्यम से आपने कंपनी की कार्यसंस्कृति एवं कर्मियों के मनोबल में एक नयी ऊर्जा का संचार किया। अपनी मेंटर-मेंटी पहल से आपने युवा अधिकारियों से सीधा संवाद एवं विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया ।विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमें प्रमुख रूप से IIT-ISM धनबाद द्वारा प्रतिष्ठित एलुमनी पुरस्कार, लगातार दो बार बिजनेस लीडर ऑफ दी इयर अवार्ड, कोयला खनन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित “एमजीएमआई अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन कोल माइनिंग”, इंडियन माइनिंग एंड इंजीनियरिंग जर्नल (2025) द्वारा “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड”, वर्ल्ड HRD कांग्रेस (2024) में “सीईओ विद एचआर ओरिएंटेशन अवार्ड” जैसे प्रतिष्ठित सम्मान शामिल हैं।
इस उपलब्धिपूर्ण जीवनयात्रा में डॉ मिश्रा की जीवन संगिनी श्रीमती पूनम मिश्रा की अत्यंत और बहुत ही महत्वपूर्णं भूमिका रही। श्रीमती पूनम मिश्रा शिक्षित, सुसंस्कृत होने के साथ-साथ कुशल गृहिणी के रूप में पारिवारिक-सामाजिक जिम्मेदारियों के बखूबी निर्वहन के लिए एक आदर्श महिला के रूप में जानी जाती है। श्रद्धा महिला मंडल की अध्यक्षा का दायित्व संभालते हुए बिलासपुर में समाज कल्याण के कार्यों में काफी सक्रिय रहीं तथा सांस्कृतिक कार्यकलापों में संबद्ध रहते हुए भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया और डॉ मिश्रा की प्रेरणास्त्रोत रहीं और विकास यात्रा में उन्होंने चरण-दर-चरण अपनी अहम भागीदारी निभाई । डॉ मिश्र के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा पीयूष सागर मिश्रा सिंगापुर की एक बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनी में कार्य कर रहे हैं, वहीं कनिष्ठ पुत्र प्रतीक सागर मिश्रा बेंगलोर में एक स्टार्टअप के संस्थापक हैं ।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief