बिलासपुर। कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 के अनुरूप आवश्यक संशोधन करने के लिए गठित समिति की पहली बैठक हो चुकी है। बहुत जल्द… कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में संशोधन का एक आदेश आ सकता है।
ध्वनि प्रदूषण मामले में महाधिवक्ता का जवाब आने के बाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, (गृह), छत्तीसगढ़ सरकार को व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। समाचार माध्यमों की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की है।
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई मे महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 के अनुरूप आवश्यक संशोधन करने के लिए गठित समिति की पहली बैठक हो चुकी है और अभी बैठक चल भी रही है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द संशोधन आदेश जारी किया जाना है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने 27 जनवरी 2025 को एक 5 सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति में गृह विभाग, विधि विभाग, शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रतिनिधियों के साथ ही हाउसिंग और एनवायरनमेंट विभाग के सचिव को अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सचिव को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। समिति का मुख्य उद्देश्य 1985 के कोलाहल नियंत्रण अधिनियम और 2000 के ध्वनि प्रदूषण विनियमों का तुलनात्मक अध्ययन करना और उनमें जरूरी संशोधन सुझाना है ताकि कानून को और सशक्त बनाया जा सके।
लेजर लाइटिंग के कारण नागरिकों की आंखें प्रभावित हो रही हैं। इससे उनके रेटिना और कॉर्निया को नुकसान पहुंच रहा है और यह मुद्दा 13 अक्टूबर 2025 के समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था। यह बताया गया कि उपरोक्त मुद्दे को इस न्यायालय ने पहले भी उठाया था, जैसा कि इस न्यायालय के 21 अक्टूबर 2024 के आदेश से परिलक्षित होता है और ऐसा प्रतीत होता है कि त्योहारों और शादियों में डीजे साउंड सिस्टम बजने पर उपयोग की जाने वाली उक्त लेजर लाइटों पर अंकुश लगाने के लिए कोई रोडमैप तैयार नहीं किया गया है। इसके मद्देनजर, प्रमुख सचिव, (गृह), छत्तीसगढ़ सरकार को इस संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 17 नवंबर की तिथि तय कर दी है।

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