राजधानी के बाद न्यायधानी की ओर कांग्रेस के कदम
राजधानी रायपुर में कांग्रेस अध्यक्ष के बड़े सियासी शो के बाद अब न्यायधानी में उसी अंदाज में सियासी शो की तैयारी कांग्रेस ने कर ली है। मुद्दा भी बड़ा है। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने माहौल बनाना शुरू कर दिया है। तभी तो बिलासपुर में प्रदर्शन का मुद्दा भी वही है। वोट चोर गद्दी छोड़ो। राज्य की सत्ता से बेदखली के बाद कांग्रेस जिस अंदाज में अपनो को जोड़ने और सियासत के मैदान में भीड़ जुटा रही है, काबिल-ए-तारीफ है। भारी बारिश के बीच जिस तरह रायपुर में कांग्रेस के बैनर तले भीड़ जुटी थी, उसे लेकर सवाल उठा था कि राज्य की सत्ता से वापसी के बाद कांग्रेस एक बार फिर खड़ी हो गई है। सियासी पंडितों ने भी अचरज से देखा था। सियासी पंडितों,जानकारों की नजर अबकी बार बिलासपुर की ओर टिक गई है।
चौबे जी के बयान पर महंत को क्यों आया गुस्सा
पूर्व सीएम का बर्थ डे था। मंत्रिमंडल के सहयोगी और तब के पूर्व सीएम के भरोसेमंद रहे मंत्री रविंद्र चौबे ने पीसीसी अध्यक्ष का मुद्दा छेड़ दिया है। पूर्व सीएम के बर्थ डे के अवसर पर चौबे जी ने अध्यक्ष का मुद्दा छेड़ा ही नहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल को कमान संभालने की बात भी कह दी। चौबेजी का बयान आने के बाद कांग्रेस की राजनीति में मानो भूचाल सा आ गया। पीसीसी के अध्यक्ष ने सर्वज्ञानी कह दिया तो बुधवार को राजधानी रायपुर के राजीव भवन में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की बैठक में नेता प्रतिपक्ष डा महंत को भी गुस्सा आ ही गया। कूल-कूल रहने वाले डा महंत को आखिर गुस्सा क्यों आया। इसे ना तो उनके करीबी समझ पा रहे हैं और ना ही सियासत को अंदाज करने वाले सियासी पंडित। सवाल अब भी वही कि आखिर डा महंत को गुस्सा क्यों आया।
भाजपा की जिला कार्यकारिणी और पंजा छाप कांग्रेसियों को जगह
स्थापना काल से लेकर अब तक भाजपा का इकलौता स्लोगन है जो अब भी यदा-कदा बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ताओं की जुबान पर आ ही जाती है। कथनी और करनी एक है। हाल ही में शहर भाजपा जिलाध्यक्ष की टीम बनी। जंबो टीम में सीनियर नेताओं को विशेष आमंत्रित सदस्य और कार्यसमिति में जगह दी गई है। कमोबेश एक दर्जन नाम ऐसे हैं जिसे देखकर जनसंघ के जमाने के सीनियर नेता से लेकर भाजपा के कट्टर कार्यकर्ता भौचक है। जिला अध्यक्ष की टीम में कांग्रेसी से भाजपाई बनने वालों की संख्या भी नजर आ रही है। टीम बनाने वाले सफाई दे रहे हैं, आखिर एडजस्ट तो करना ही पड़ेगा। चुनाव में काम तो किया है। दरी बिछाने और दरी उठाने वाले कार्यकर्ता सवाल कर रहे हैं, हमने क्या बिगाड़ा। हमारा काम, काम नहीं है क्या। बहरहाल सफाई और सवाल के बीच टीम बनाने वाले नेता और पदाधिकारी अब दरी बिछाने वाले कार्यकर्ताओं से नजरें चुराने लगे हैं।
मुंगेली एपीसोड से हो जाइए चौकन्ना
मुंगेली एपीसोड को लेकर छत्तीसगढ़ में एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है। नकली होलोग्राम, नकली ढक्कन और टैंकर में स्पिरिट। यह सब क्या है। सत्ता के गलियारे से लेकर विपक्षी खेमे और जानकारों के बीच एक ही चर्चा हो रही है, स्क्रिप्ट पुरानी ही है, किरदार बदल गए। नए किरदारों के बीच इतनी हिम्मत कहां से आ गई। रिटायर्ड आईएएस से लेकर घेरे में आए आईएएस अफसरों, पूर्व मंत्री, एक्स सीएम के पुत्र, बड़े कारोबारी। इन सबसे सबक क्यों नहीं ली या फिर सबक क्यों नहीं ले रहे। कहावत है ना, सत्ता धूप छावं की तरह होती है। कभी धूप तो कभी छावं। फिर जांच एजेंसियों की पैनी नजर घोटालों पर लगी हुई है। पुरानी घटनाओं से सबक ना लेना, जांच एजेंसियों ना डरना। ये तो वाकई हिम्मत वाली बात है। दाद तो देनी चाहिए। आगे-आगे देखते जाइए होता है क्या। इन लोगों के जैसे कहीं पछताना ना पड़ जाए।
अटकलबाजी
आबकारी विभाग अब सेपरेट हो गया है। उद्योग मंत्री के कंधे पर नई जिम्मेदारी सीएम ने दे दी है। महकमे से लेकर लाबी के बीच एक ही सवाल उठ रहा है, डेढ़ साल जो सिस्टम बना था, जारी रहेगा या फिर सिस्टम में बदलाव होगा।
मुंगेली में नकली शराब बनाने का बड़ा जखीरा पकड़ाया। नकली होलोग्राम से लेकर शराब का नकली ढक्कन और स्पिरिट भी। होलोग्राम वाली कहानी रिपीट तो नहीं हो रही है। कहीं वो तो नहीं, वाली कहानी दोहराई तो नहीं जा रही है।

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