Explore

Search

May 22, 2025 9:29 pm

R.O.NO.-13250/13

जिस पद पर कलीम खान की पुलिस में हुई थी भर्ती, 18 साल बाद फिर उसी पद पर हुआ डिमोशन 18 साल की सेवाओं के दौरान 199 ईनाम मिला और 16 छोटी सजाएं भी मिली

आईजी बिलासपुर रेंज संजीव शुक्ला ने एडिशनल एसपी की जांच रिपोर्ट और बिलासपुर एसएससी रजनेश सिंह की अनुशंसा के बाद टीआई कलीम खान को एक साल के लिए किया डिमोट

टीआई ने ये भी कहा- 19.12. 2020 की रात्रि से 22.12.2020 तक जिया उल हक के साथ नहीं था

बिलासपुर छत्तीसगढ़,धोखाधड़ी के आरोपी को अपने कस्टडी में रखना और पत्नी से बेजा वसूली करने के आरोप में टीआई कलीम खान को आईजी संजीव शुक्ला बिलासपुर रेंज ने एक साल के लिए डिमोट करते हुए इंस्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर बना दिया है। आईजी द्वारा जारी आदेश में साफ किया है कि इस आदेश का प्रभाव उसके भविष्य की परिलब्धियों और पेंशन इत्यादि पर भी पड़ेगा। कलीम खान 01.09.2008 को सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती मिली थी। 18 साल बाद एक बार फिर वह उसी पद पर पहुंच गया है जहां उसकी भर्ती हुई थी। ऐसा इसलिए कि पुलिस कंडक्ट रुल्स का उन्होंने दुरुपयोग किया है और अधिकारों का बेजा इस्तेमाल भी करने का आरोप है।

निरीक्षक मो. कलीम खान के सेवा अभिलेख अनुसार 01.09.2008 को उप निरीक्षक के पद पर भर्ती हुआ तथा वर्तमान पद पर 27.03.2015 को पदोन्नत हुआ है, उसे अब तक की सेवा अवधि में कुल 199 ईनाम और 16 छोटी सजाएं मिली है। अतः इस विभागीय जाँच प्रकरण में समग्र विचारोपरांत निरी. मो. कलीम खान को विभागीय जाँच में उसके विरूद्ध प्रमाणित आरोपों के लिए उसे आदेश जारी दिनांक से उसके वर्तमान धारित पद निरीक्षक से उप निरीक्षक के पद पर 01 वर्ष के लिये पदावनत किये जाने की दीर्घशास्ति से दण्डित किया जाता है, जिसका प्रभाव उसके भविष्य की परिलब्धियों और पेंशन इत्यादि पर भी पड़ेगा।
एडिशनल एसपी अर्चना झा की जांच रिपोर्ट में टीआई कलीम खान को धोखाधड़ी के आरोपी को अपने कस्टडी में रखना और पत्नी से बेजा उगाही करने का गंभीर आरोप है। जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि पीड़िता द्वारा लगाई गए चार में से तीन आरोप सही है। पीड़िता ने टीआई पर शोषण का आरोप लगाई थी जिसे जांच अधिकारी ने खारिज कर दिया है।

पीड़िता ने टीआई के खिलाफ इन बिंदुओं पर की थी शिकायत

  1. “मो. जिया उल हक को बिना किसी अपराध पंजीयन के 17.12.2020 को अभिरक्षा में लेकर 19.12.2020 को 02:46 बजे थाना कोनी में अपराध पंजीबद्ध करने के उपरांत 23.12.2020 तक अवैधानिक रूप से अभिरक्षा में रखकर कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतकर अपनी उत्तम योग्यताओं का उपयोग न कर पुलिस रेग्युलेशन की कंडिका 64(2) एवं 756 का उल्लंघन करना।”
  2. “आवेदिका अर्चना श्रीवास्तव को उसके पति मो. जिला उल हक को अभिरक्षा से छोड़ देने का प्रलोभन देकर अवैध पारितोष प्राप्त कर पुलिस रेग्युलेशन की कंडिका 64 (10) का उल्लंघन करना।”
  3. “बिना सक्षम अनुमति प्राप्त किये वायुमार्ग से दिल्ली से मुम्बई जाकर स्वेच्छाचारिता प्रदर्शित कर पु.रे. की कंडिका 64 (4) का उल्लंघन करना।”
  4. “आवेदिका अर्चना श्रीवास्तव के दिल्ली से बिलासपुर आने पर अनावश्यक संवाद कर पुलिस पदाधिकारी के रूप में पदीय गरिमा के विपरीत कार्य कर पुलिस रेग्युलेशन की कंडिका 64(2) का उल्लंघन करना।”

एडिशनल एसपी अर्चना झा ने की जांच, एसएसपी रजनेश सिंह को सौंपी थी रिपोर्ट

विभागीय जाँच की कार्यवाही अर्चना झा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), जिला बिलासपुर द्वारा पूर्ण की गई। जाँचकर्ता अधिकारी ने जाँच उपरांत साक्ष्यों के आधार पर अपचारी निरी. मो. कलीम खान पर लगाए गए तीन आरोप को प्रमाणित पाया। पुलिस अधीक्षक जिला बिलासपुर द्वारा जाँचकर्ता अधिकारी की जाँच से सहमत होकर विभागीय जाँच के अंतिम निराकरण हेतु विभागीय जाँच की कापी रेंज कार्यालय बिलासपुर को कार्रवाई के लिए प्रेषित किया था।

पढ़े जांच रिपोर्ट में क्या है

जाँचकर्ता अधिकारी द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अर्चना श्रीवास्तव द्वारा व्हाट्सएप चैट का भेजा गया स्क्रीन शॉट किस दिनांक एवं समय का है एवं किन नम्बरों के मध्य हुये चैट का है। व्हाट्सएप चैट प्रायोजित भी हो सकते हैं, मोबाईल को भौतिक रूप से देखे व्हाट्सएप के चैट के दिनांक व समय को प्रमाणित नहीं किया जा सकता है, जाँचकर्ता अधिकारी ने किस आधार पर इसे सही एवं प्रमाणित माना है यह स्पष्ट नहीं है। शिकायतकर्ता अर्चना श्रीवास्तव के द्वारा किस दिनांक एवं किस समय पर उसे पैसे देने की बात कही थी यह भी स्पष्ट नहीं है, शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत 21.12.2020 के चैट में उसके आरोपी पति ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि ‘हमारा सेटलमेंट लिखित में छत्तीसगढ़ में होगा एवं पैसा अरेंज कर रखना प्रार्थी के एकाउंट में देना होगा’।

टीआई कलीम खान ने अपने बयान में ये कहा

थाना कोनी के अपराध के आरोपी दीपक चटर्जी को मुम्बई जाकर पकड़ने हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया गया था कि आरोपी का लोकेशन मुम्बई सहारा होटल है, जहाँ पर उसका दिनांक 20.12. 2020 के 12:00 बजे तक रूम रिजर्व है। आरोपी को पकड़ने हेतु समय ज्यादा न होने पर वायुमार्ग का सहारा अनुमति उपरांत लिया गया था, यदि त्वरित कार्यवाही करते हुए वह वायुमार्ग से मुम्बई नहीं जाता तो मुख्य आरोपी दीपक चटर्जी दिनांक 20.12.20 के 12:0 बजे से पहले होटल चेक आउट कर फरार हो जाता, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का पालन करने के कारण ही उक्त आरोपी पकड़ा गया था। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के द्वारा आरोपी को पकड़ने विधिवत मौखिक अनुमति एवं प्राप्त निर्देश पर ही उसके द्वारा वायुमार्ग से मुम्बई जाकर आरोपी को पकड़ा गया। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के निर्देशों व अपने पदीय दायित्वों का पालन करते हुए उसने कार्य संपादित किया है।


टीआई ने ये भी कहा- 19.12. 2020 की रात्रि से 22.12.2020 तक जिया उल हक के साथ नहीं था।

मो. जिया उल हक को 23.12.2020 तक अभिरक्षा में रखना आरोपित किया गया है, जबकि वह 19.12.2020 की रात्रि से मुम्बई के लिये दिल्ली एयरपोर्ट पहुँच चुका था और 22.12.2020 को मुम्बई से रायपुर हवाई यात्रा कर पहुँचा था। इस प्रकार वह 19.12. 2020 की रात्रि से 22.12.2020 तक जिया उल हक के साथ नहीं था। संपूर्ण जाँच में जॉचकर्ता अधिकारी ने अपने ही पुलिस अधिकारी के विरूद्ध तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के निर्देशों को दरकिनार करते हेतु एकपक्षीय एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरूद्ध कार्यवाही की गई है।

आईजी बिलासपुर रेंज ने सुनाया अपना फैसला

विभागीय जॉच नस्ती में उपलब्ध साक्ष्यों, दस्तावेजों के अध्ययन उपरांत निष्कर्ष तथ्य पाया गया कि अपचारी निरी. मो. कलीम खान के द्वारा मो. जिया उल हक रहमानी को 18.12.2020 से अपनी अभिरक्षा में रखा गया था, जबकि मो. जिया उल हक रहमानी व 02 अन्य के विरूद्ध थाना कोनी जिला बिलासपुर में दर्ज अप.क्र. 245/2020 धारा 420, 34 भादवि की कायमी 19.12.2020 के 02:26 बजे प्रार्थी रमेश साहू की रिपोर्ट पर किया गया है।

विभागीय जाँच प्रक्रिया अन्तर्गत अंतिम दण्डादेश के पूर्व जाँच उपपत्ति की प्रति अपचारी को प्रदाय कर उससे प्रमाणित पाये गये आरोपों के संबंध में बचाव अभ्यावेदन प्राप्त किया जाना आवश्यक होने से पुलिस अधीक्षक जिला बिलासपुर के माध्यम से जाँच उपपत्ति की एक प्रति अपचारी निरी. मो. कलीम खान को तामील कराया जाकर उससे बचाव अभ्यावेदन चाहा गया। अपचारी निरी. मो. कलीम खान के द्वारा रेंज कार्यालय बिलासपुर में समक्ष में उपस्थित होकर विभागीय जाँच में उसके विरूद्ध प्रमाणित आरोपों के संबंध में अपना बचाव अभ्यावेदन लिखित में प्रस्तुत किया गया।

निरी. मो. कलीम खान के द्वारा जाँच उपपत्ति के विरूद्ध प्रस्तुत बचाव अभ्यावेदन में प्रमाणित प्रत्येक आरोप के संबंध में पृथक-पृथक तर्क तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं। आरोप क्रमांक-1 के संबंध में तर्क तथ्य प्रस्तुत किया है कि थाना कोनी में दर्ज अप.क्र. 245/20 धारा 420, 34 भादवि. के अपराध में आरोपी मो. जिया उल हक नामजद आरोपी है। मो. जिया उल हक को 17.12.2020 को उसकी अभिरक्षा में होने का कोई भी साक्ष्य नहीं है। 18.12.2020 के संबंध में भी कोई साक्ष्य आरोपी को अभिरक्षा में लेने के संबंध में कोई साक्ष्य न होने के बाद भी उस दिनांक को अभिरक्षा में रखना लेख किया गया है।

उसके द्वारा आरोपियों के चिन्हांकित होने पर 19.12.2020 को आरोपी जिया उल हक को अभिरक्षा में लेकर अग्रिम कार्यवाही हेतु थाना कोनी से आये विवेचक सउनि. शैलेन्द्र सिंह के सुपुर्द किया था। सउनि. शैलेन्द्र सिंह ने अपने कथन में इस बात की पुष्टि की है कि उसने 19.12.2020 को आरोपी जिया उल हक को पूछताछ कर उसे नोटिस थाना कोनी के प्रकरण में दिया था। 19.12.2020 से संपूर्ण दायित्व विवेचक सउनि. शैलेन्द्र सिंह का था, उसका नहीं था। उसके द्वारा तत्का. पुलिस अधीक्षक के आदेशानुसार कार्य किया गया है। यह पूर्णतः झूठा तथ्य है कि बिना किसी अपराध के जिया उल हक को अभिरक्षा में लिया गया है।

निरी. मो. कलीम खान की अभिरक्षा में रहने के दौरान मो. जिया उल हक रहमानी और अर्चना श्रीवास्तव के मध्य लगातार बातचीत हुई थी। चूँकि निरी. मो. कलीम खान द्वारा आरोपी मो. जिया उल हक रहमानी को 18.12.2020 से अभिरक्षा में रखा गया था, अतः इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि निरी. मो. कलीम खान द्वारा मो. जिया उल हक रहमानी के माध्यम से अपनी बातें अर्चना श्रीवास्तव तक पहुँचाई जाकर उसके पति मो. जिया उल हक को छोड़ने के लिये उससे अवैध रूप से रकम की माँग की जा रही थी।

बिना अपराध टीआई ने जिया उल हक को रखा कस्टडी में, चार लाख रुपये भी लिए


शिकायतकर्ता अर्चना श्रीवास्तव के कथन और प्रतिपरीक्षण में यह तथ्य आया है कि वह अपने पास रखे हुए गोल्ड एवं अन्य माध्यमों से पैसे की व्यवस्था करने में इसलिए लगी हुई थी कि माँगी गई रकम देने के बाद निरी. मो. कलीम खान उसके पति मो. जिया उल हक रहमानी को छोड़ देंगे। शिकायतकर्ता अर्चना श्रीवास्तव ने कथन व प्रतिपरीक्षण में निरी. मो. कलीम खान को सोसायटी जहाँ उसका घर स्थित है, उसकी गली की साईड में कैश 4 लाख रूपये दिया जाना बताया है। इस प्रकार विभागीय जाँच में साक्ष्यों के आधार पर निरी. मो. कलीम खान के द्वारा शिकायतकर्ता अर्चना श्रीवास्तव के पति मो. जिया उल हक रहमानी को बिना अपराध पंजीयन के अपनी अभिरक्षा में लेना साथ ही मो. जिया उल हक को अभिरक्षा में रखकर उसके घर बिना किसी मेमोरेण्डम आदि के उसके निवास पर दोबारा ले जाना आदि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर निरी. मो. कलीम खान के द्वारा शिकायतकर्ता अर्चना श्रीवास्तव को उसके पति मो. जिया उल हक को अभिरक्षा से छोड़ देने का प्रलोभन देकर अवैध रूप से पारितोष प्राप्त करने की पुष्टि को प्रबलता प्रदान करता है।

बिना अनुमति की हवाई यात्रा

सब इंस्पेक्टर प्रभाकर तिवारी ने अपने बयान में कहा है कि आरोपी दीपक चटर्जी को पकड़ने हेतु निरी. मो. कलीम खान एवं अन्य स्टाफ दिनांक 19-20.12.2020 की मध्य रात्रि दिल्ली एयरपोर्ट से वायुयान से मुम्बई जाना बताया गया है। निरी. मो. कलीम खान और उनि. प्रभाकर तिवारी का दिल्ली से मुम्बई जाने हेतु इंडिगो फ्लाईट का ई-टिकट 20.12.2020 है जिसमें दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाईट के डिर्पाचर का समय प्रातः 06:25 बजे एवं मुम्बई एयरपोर्ट पर फ्लाईट के पहुँचने का समय प्रातः 08:45 बजे अंकित है। निरी. मो. कलीम खान के द्वारा उक्त तथ्यों की पुष्टि स्वयं भी कूट परीक्षण में करते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जिला बिलासपुर की मौखिक अनुमति से दिल्ली से मुम्बई वायुमार्ग का सफर किया जाना बताया है किन्तु अपचारी द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जिला बिलासपुर से इस मौखिक रूप से प्राप्त की गई अनुमति को लिखित रूप में प्राप्त करने की या कार्योत्तर अनुमति की प्रक्रिया अपनाई नहीं गई है। इस प्रकार उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेज के आधार पर अपचारी निरी. मो. कलीम खान के द्वारा बिना सक्षम अनुमति प्राप्त किए वायुमार्ग से दिल्ली से मुम्बई जाने की स्वेच्छाचारिता स्पष्टतः प्रमाणित होती है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन

CRIME NEWS

BILASPUR NEWS