बिलासपुर। हाई कोर्ट के जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने एक अहम निर्णय सुनाते हुए मानसिक रूप से अक्षम बलात्कार पीड़िता को गर्भ समापन (अबार्शन) की अनुमति प्रदान की है। यह याचिका पीड़िता की बहन द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि पीड़िता को उसके गरिमामय जीवन के अधिकार के तहत अवांछित गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जाए। याचिका में बताया गया कि पीड़िता इंटलेक्चुअल डेवलपमेंटल डिसआर्डर और मिर्गी की मरीज है। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर उसी गांव के रहने वाले महेंद्र धीवर ने विवाह का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब यह मामला परिवार के संज्ञान में आया और महेंद्र से विवाह की बात की गई, तो उसने साफ इंकार कर दिया।
इसके बाद पीड़िता की मां ने रतनपुर थाने में आरोपित के खिलाफ अपराध क्रमांक 36/2025 के तहत बीएनएसएस की धारा 64(2)(के) के अंतर्गत एफआइआर दर्ज करवाई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि बलात्कार पीड़िता को यह पूर्ण अधिकार है कि वह गर्भ को जारी रखना चाहती है या नहीं। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी और निर्देश दिया कि संबंधित चिकित्सकीय संस्थान जल्द से जल्द यह प्रक्रिया संपन्न करे। इसके साथ ही न्यायालय ने भ्रूण का डीएनए नमूना पाक्सो नियमावली 2020 के नियम 6(6) के अंतर्गत संरक्षित करने का आदेश दिया, ताकि यह भविष्य में आपराधिक मामले की सुनवाई में साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सके।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पीड़िता की पहचान व गोपनीयता का पूर्णत: पालन किया जाए, जैसा कि मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी अधिनियम, 1971 की धारा 5ए में प्रावधानित है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ऋषिकेश शर्मा और विकास पांडे ने पक्ष रखा।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन